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________________ महाराजा मानसिंहजी इससे निपट कर अमीरखाँ ने उदयपुर पर चढ़ाई की। महाराज के सेनापति भी उसके साथ थे । जब वहाँ पर इनका पूरा-पूरा आतंक छागया, तब महाराना भीमसिंहजी को बड़ी चिन्ता हुई और उन्होंने कृष्णकुँवरी को मरवा डालने का इरादा किया । अन्त में उस राजकन्या के विष-पान कर लेने पर यह झगड़ा शान्त हुओं । इसके साथ ही उदयपुर वालों ने गोडवाड़ की तरफ़ के चाणोद, घाणेराव और नारलाई के ठाकुरों को, जो मेवाड़ में जा बैठे थे, वहाँ से महाराज के पास भेज सुलह करली । महाराज ने भी माफ़ी माँगने वालों को कुछ दंड देकर उनकी जागीरें लौटादी । वि० सं० १८६९ ( ई० सन् १८१२ ) में शायद महाराज की आज्ञा से फिर सिरोही पर चढ़ाई की गई और इधर-उधर के गाँवों के साथ ही वहाँ की राजधानी भी लूटी गई । इसी प्रकार समय-समय पर बीकानेर के प्रदेशों पर भी आक्रमण होते रहते थे। वि० सं० १८७० के चैत्र (ई० सन् १८१३ के अप्रेल ) में जयपुर-महाराजा जगतसिंहजी ने जोधपुर और जयपुर के बीच का मनोमालिन्य दूर करने के लिये सिंघी इन्द्रराज को अपने यहाँ आने का लिखा । इस पर वह महाराज की आज्ञा लेकर वैशाख ( मई ) में वहाँ पहुँचा और सारी बातें तय होजाने पर भादों सुदि ८ (३ सितम्बर ) को जयपुर-नरेश की बहन से महाराजा मानसिंहजी का और भादों सुदि । (४ सितम्बर) को महाराज की कन्या से जयपुर-नरेश जगतसिंहजी का विवाह होना निश्चित किया । इसके अनुसार जब महाराजा मानसिंह जी विवाह करने को जाते हुए नागोर पहुँचे, तब बीकानेर-नरेश सूरतसिंहजी ने वहाँ आकर, आयस देवनाथ के द्वारा, इनसे मुलाकात की और कह-सुनकर आपस का पुराना वैमनस्य १. ख्यातों में लिखा है कि इस अवसर पर उदयपुर-नरेश ने कृष्णाकुँवरी का विवाह महाराजा मानसिंहजी से कर देने की इच्छा प्रकट की थी। परन्तु महाराज ने इसे स्वीकार नहीं किया। २. यह घटना वि० सं० १८६७ की श्रावण वदि ५ ( ई० स० १८१० की २१ जुलाई ) की है। ३. 'सिरोही का इतिहास', (पृ० २७६ )। ४. इसकी पुष्टि स्वयं बीकानेर-नरेश के, वि० सं० १८६६ की चैत्र वदि ६ ( ई० स० १८१३ ____की २३ मार्च ) के, महाराजा मानसिंहजी के नाम लिखे पत्र से होती है । ५. इन विवाहों का निश्चय पहले वि० सं० १८६३ (ई० स० १८०६) में ही हो चुका था। ४१५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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