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________________ महाराजा मानसिंहजी वि० सं० १८६१ के ज्येष्ठ (ई० स० १८०४ के जून ) में मारोठ पर सेना भेजी गई । परन्तु अन्त में वहाँ के ठाकुर महेशदान के माफी मांग लेने से झगड़ा शान्त हो गया । ___ इसके बाद महाराज की आज्ञा से मुहणोत ज्ञानमल आदि ने सिरोही और मुहता साहिबचन्द आदि ने घाणेराव पर चढाईयाँ कर वहाँ पर अधिकार करलिया । सिरोही के राव वैरसलजी (द्वितीय ) भाग कर आबू की तराई में चले गए। वि० सं० १८६१ के आषाढ़ ( ई० स० १८०४ की जुलाई ) में भाटी छत्रसाल ने धौंकलसिंह का पक्ष लेकर, खेतड़ी, जूझणू, नवलगढ़, सीकर आदि के शेखावतों की मदद से, डीडवाने पर कब्जा कर लिया । परन्तु महाराज की आज्ञा से शीघ्र ही राजकीय सेनाने वहाँ पहुँच शत्रुओं को मार भगाया और सीकरवालों से शाहपुरा छीन कर मोहनसिंह को देदिया । इसी वर्ष की पौष वदि १ (ई० स० १८०५ की २ जनवरी ) को महाराज ने जोधपुर के किले में हस्तलिखित पुस्तकों का एक पुस्तकालय स्थापित कियाँ और उसका नाम 'पुस्तक-प्रकाश' रक्खा । उदयपुर-महाराना भीमसिंहजी की कन्या कृष्णकुँवरी का विवाह जोधपुर महाराजा भीमसिंहजी से होना निश्चित हुआ यो । परन्तु उनका स्वर्गवास हो जाने पर महाराना ने उसका विवाह जयपुर-नरेश जगतसिंहजी से करने का विचार किया । यद्यपि महाराजा मानसिंहजी ने दोनों पक्षवालों को समझाया कि जिस कन्या का विवाह १. इसकी कन्या का विवाह खेतड़ी के कुँवर बख़तावरसिंह से होने वाला था । परन्तु खेतड़ी वालों के धौंकलसिंह का पक्ष लेने के कारण महाराज को यह संबंध पसंद न था । राजकीय सेना के वहां पहुंचने पर ठाकुरने कुछ दिन के लिये यह विवाह स्थगित करदिया। २. वि० सं० १८५८ ( ई० स० १८०१ ) में मानसिंहजी ने अपने कुटुम्ब वालों को कुछ दिन के लिये सिरोही भेज देने का इरादा किया था । परन्तु वैरसलजी ने भीमसिंहजी के भय से इस में अनुमति नहीं दी । इसी का बदला लेने को यह सेना भेजी गई थी। ३. सीकरवालों ने इसीसे शाहपुरा छीना था। इसलिये यह उस समय जोधपुर में रहता था। ४. परन्तु इस संग्रहालय में महाराजा जसवन्तसिंहजी प्रथम से लेकर उस समय तक के प्रत्येक राजाओं के समय की लिखी पुस्तकें भी मौजूद हैं। ५. यह घटना वि० सं० १८५५ ( ई० स० १७६६ ) की है। ४०५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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