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________________ मारवाड़ का इतिहास स्त्रियों की चिकित्सा के लिये ११,१२,००० रुपये की लागत से एक नया जनाना ( उम्मेद फ़ीमेल ) अस्पताल भी बनाया गया है । इसमें ६६ बीमार स्त्रियों के रहने का स्थान है और करीब ५०० से १००० तक बाहर रहकर इलाज करवाने वालियों की चिकित्सा का प्रबन्ध है । इसका उद्घाटन ई० स० ११३८ की ३१ अक्टोबर को किया गया था। स्कूलों व कॉलिज के विद्यार्थियों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये मी समुचित प्रबन्ध किया गया है। कृतवाली बीमारियों के रोगियों के लिये चैनसुख के बेरे पर एक अच्छा अस्पताल ( Isolation Hospital ) बनाया गया है। इसी प्रकार कोढियों के इलाज के लिये, नींबे की कुष्ठ रोगियों की बस्ती ( Leper Asylum ) में, एक शफाखाना खोला गया है । बहुत समय से पागलों का इलाज जेल के अस्पताल में ही हुआ करता था। परन्तु अब उनके लिये भी एक अलग खास शफ़ाखाना (Mental Hospital) बनवाने की मंजूरी हो चुकी है । इसके बनजाने पर मारवाड़ में साधारण सरकारी शफ़ाख़ानों ( अस्पताल और डिस्पेंसरियों) की संख्या ३७ और खास रोगों के शफ़ाखानों की संख्या ३ हो जायगी। गत वर्ष इन शफ़ाखानों में रहकर इलाज करवाने वालों की संख्या ६,८१६ और बाहर रहकर इलाज करवाने वालों की संख्या ७,४२,००० थी। इनके अलावा छोटे-बड़े कुल मिलाकर ४१,००० ऑपरेशन ( अस्त्रचिकित्सा ) किए गए थे। वि० सं० १९९३-९४ ( ई० स० १९३६-३७ ) में मारवाड़ में कुष्ठ रोग की जांच ( Leprosy survey ) की गई और उससे जो परिणाम निकाला गया है उसके अनुसार शीघ्र ही इस रोग के निवारण का प्रयत्न किया जानेवाला है । पहले मारवाड़ के शफाखानों की निगरानी रैजीडेंसी-सर्जन किया करता था। परन्तु वि० सं० १९८२ (ई. स. १९२५) से दरबार ने अपना निजका प्रिंसिपल मैडीकल ऑफीसर' नियत कर दिया है । इस समय इस विभाग पर राज्य के ५,०८,००० रुपये सालाना खर्च होते हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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