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________________ यूरोपीय महासमर और जोधपुर का सरदार रिसाला फ्रांस से चलकर यह रिसाला जहाज-द्वारा पहले मिश्र (Egypt) पहुँचा । फिर वहां से रेल-द्वारा सिनाई (Sinai) होता हुआ गाजा (Caza) की तरफ़ भेजा गया और वहां से चलकर अस्केलन (Askelor), जेरूसलम (Jerusalem) और जेरिको (Jericho) होता हुआ घोरानिये पुल (Ghoraniyeh bridge head) के पास पहुँचा । वहां पर इसने 'न्यूजीलैंड-माउण्टैड-राइफल्स' (Newzealand mounted rifles) से जॉर्डन की रक्षा का भार लेकर शत्रु के कई छोटे-छोटे दलों को पकड़ने में सफलता प्राप्त की। वि० सं० १९७५ के ज्येष्ठ ( जून ) में यह रिसाला वहां के एक स्वास्थ्यप्रद स्थान में रक्खा गया। परन्तु आषाढ ( जुलाई ) में इसे, हेनू के पुल (Henu bridge head) पर अधिकार करने के लिये, फिर जॉर्डन की घाटी में जाना पड़ा। वहां पहुँच इसने शीघ्र ही शत्रु की सेना पर, जिसकी संख्या तीन रैजीमैन्टों' के बराबर थी और जिसके पास दस मशीनगनें थीं, आक्रमण कर उसे नष्ट कर दिया। उक्त युद्ध में इस रिसाले ने अनेक शत्रुओं को मारने के साथ ही ७४ तुर्क-योद्धा पकड़े थे । इनमें एक ग्यारहवें तुर्क-रिसाले का सेनापति (Oficer Commanding) और चार छोटे सेनापति (Squadron Commanders) थे । इसी युद्ध में चार तोपें ( मशीन गर्ने ) भी इस रिसाले के हाथ लगी । उपर्युक्त हमले में इस रिसाले के राजपूत-वीरों ने व्यक्तिगत वीरता के भी अनेक कार्य सम्पादन किए थे । उन्हीं वीरों में से मेजर ठाकुर दलपतसिंह ने अकेले ही शत्रु के तोप (Machinegun) वाले एक दल पर हमला कर उसकी तोप छीन ली। इसी प्रकार जमादार खानसिंह और आसूसिंह ने भी बड़ी वीरता के साथ अपनी-अपनी सैनिक टुकड़ियों को लेकर शत्रु पर हमला किया। इसी युद्ध में ये पिछले दोनों वीर सम्मुख-रण में जूझ कर काम आए। आश्विन ( सितम्बर ) में इस रिसाले ने हैफ़ा (Haifa) पर अधिकार करने में बड़ी ख्याति प्राप्त की। जिस समय मेजर ठाकुर दलपतसिंह के सेनापतित्व में इसने उसपर आक्रमण किया, उस समय सामने नदी के पार से शत्रु की भयंकर गोले बरसाने वाली बड़ी-बड़ी तोपें और मिनट में शत-शत गोलियों की वर्षा करने वाली मशीनगर्ने १. कहीं-कहीं वैलिंगटन माउण्टैड राइफल्स (Wellington mountedrilles) लिखा मिलता है। ५६७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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