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________________ मारवाड़ का इतिहास इसी बीच, वि० सं० १९७२ के प्रथम बैशाख ( ई० स० १९१५ की अप्रेल ) में, जोधपुर - नरेश नवयुवक महाराजा सुमेरसिंहजी को, अपने राज्य ( मारवाड़ ) का पूर्ण शासनाधिकार ग्रहण करने के लिये, भारत लौट आना पड़ा । वि० सं० १९७३ के ( ई० स० १९१६-१७ के ) शीतकाल में इस रिसाले ने फिर अपना समय युद्ध-शिक्षा में, सैनिक पङ्क्ति के एक भाग की रक्षा में और शत्रु के सम्मुख रुकावट खड़ी करने में बिताया । वि० सं० १९७४ ( ई० स० १९१७ ) की गरमियों में यह रिसाला, अन्य भारतीय रिसालों के साथ, मौका आते ही, जर्मनसैनिक-पङ्क्ति को भेदने के लिये खास तौर से (In reserve) नियुक्त किया गया । परन्तु ऐसा अवसर न आने से सरदियों में यह फिर खाइयों के युद्ध में भाग लेने में और सैनिक-शिक्षा के कार्य में लग गया । इसी बीच केम्ब्रे ( Cambrai) के मैदान में, जनरल - बाइंग (Byng) के हमलों के समय, इस रिसाले न ला-वैकेरी (La - Vacquerie) के पास शत्रु की हिंडन्बर्ग-पङ्क्ति को तोड़कर उसके अधिकृत भू-भाग पर अधिकार कर लिया । इस हमले में वयोवृद्ध महाराजा प्रतापसिंहजी भी इस रिसाले के साथ थे 1 परन्तु इसके बाद शीघ्र ही यह रिसाला वापस बुला लिया गया और इसे शत्रु के प्रत्याक्रमणों को दबाने में नियुक्त होना पड़ा । इस कार्य में कैप्टिन ट्रेल ( R. G. A. Trail), जो हाल ही में इस रिसाले का 'स्पेशल - सर्विस - अफ़सर' नियुक्त हुआ था, मारा गया । वि० सं० १९७४ के फागुन ( ई० स० १९१८ के मार्च ) में भारतीय रिसालों के फ्रांस से हटा लिये जाने के कारण जोधपुर का रिसाला भी फिलस्तीन ( Palestine) में, ब्रिगेडियर-जनरल हर बोर्ड (Harbord ) के अधीन के 'इम्पीरियल सर्विस-कैवैलरी ब्रिगेड' के साथ रहकर, कार्य करने को भेज दिया गया। अबतक जोधपुर - रिसाले के सेनापति का कार्य कर्नल महाराज शेरसिंहजी करते थे; परन्तु इस अवसर पर वह रिसाले को सामान आदि भेजने वाले डिपो का, जिसका कार्य इन दिनों बहुत बढ़ गया था, प्रबन्ध करने के लिये भारत लौट आए और रिसाले के सेनापतित्व का कार्य संखवाय - ठाकुर लैफ्टिनैंट कर्नल प्रतापसिंह को सौंपा गया । १. इस रिसाले की एक टुकड़ी ने विलर्स गौसलौं ( Villers Gauslaun) के धावे में बढ़ी बहादुरी से भाग लिया। इस घावे के पूर्व इसे कई घण्टे तक पानी में खड़ा रहना पड़ा था । परन्तु इसके जवानों ने सब काम बड़े धैर्य और वीरता के साथ किया । यह घटन वि० सं० १९७४ की मंगसिर वदि २ ( ई० स० १६१७ की ३० नवम्बर ) की है। ५६६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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