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________________ मारवाड़ का इतिहास अवसर पर भी स्टेशन से 'वायसराय' के ठहरने के स्थान तक अच्छी सजावट की गई और सड़क के दोनों तरफ़ सैनिकों के अलावा सरदारों के देसी घोड़ों और ऊंटों पर चढ़े आदमी खड़े किए गए । 'वायसराय' के आने और यथा-नियम भेट-मुलाकात होजाने के बाद उस ( वायसराय ) ने दरबार में उपस्थित होकर, भारत-गवर्नमैंट की तरफ़ से, महाराजा साहब को एक खिलअत भेट किया और साथ ही श्रीमान् के पूर्णरूप से मारवाड़-राज्य का अधिकार ग्रहण करने की घोषणा की। ___ इसी समय वायसराय के राजनीतिक-विभाग के मंत्री ( Political Secretary ) ने खड़े होकर श्रीमान् महाराजा साहब का नाम मय उनकी उपाधियों के इस प्रकार उच्चारण कियाः भूरसिंह डकैत के दल का सामना कर बड़ी वीरता से मारा गया। इस पर दरबार की तरफ़ से उसकी विधवा को २५। रुपये मासिक की पैन्शन दी गई । . इस अवसर पर वायसराय ने स्वर्गवासी महाराजा प्रतापसिंहजी की प्रशंसा के बाद रीजेंसी काउंसिल' के कार्य का उल्लेख और उस पर अपनी सम्मति का प्रकाशन इस प्रकार कियाः'यद्यपि रोजेंसी-काल में वर्षा की कमी और व्यापार की मन्दी रही, तथापि उसके सुप्रबन्ध के कारण राज्य की आय ८६,००,००० रुपये से बढ़ कर १,००,००,००० हो गई । ३५,००,००० रुपये का कर्ज अदा करने के बाद ७०,००,००० रुपया रेल्वे में लगाया गया और ३१,००,००० रुपये की बचत रही । इस से बचत के खाते में कुल २, ५०, ००, ००० रुपया हो गया । वि० सं० १६३८ ( ई० स० १८८१) के बाद पहले-पहल इसी काल में लगान नियत करने ( सैटलमैंट) का काम हाथ में लिया गया, जो वि० सं० १९८१ (ई. स. १६२४) तक समाप्त हो जायगा | आशा है इसी प्रकार लगान के नियमों ( Rent Regulations ) या लगान संबन्धी अदालतों ( Revenue Courts ) आदि का प्रबन्ध हो जाने से किसानों को भी सुविधा हो जायगी । यद्यपि इस समय तक तालीम के महकमे में करीब एक लाख का व्यय बढ़ा दिया गया है तथापि यदि दरबार अपने राज्य कार्य के संचालन के लिये योग्य मारवाड़ियों को चाहते हैं तो उन्हें विद्योपार्जन में और भी सुविधाएं देने की आवश्यकता है। इन दिनों व्यापार की संसार व्यापिनी मंदी के कारण ही जोधपुर-बीकानेर रेल्वे की आय कम हो गई है। २. "Captain His Highness Raj Rajeshwar Maharaja Dhiraj Sir Umaidsingh Bahadur, Knight Commander of the Royal Victorian Order" इसी रोज़ तीसरे पहर 'पोलो' और 'ऐट होम' (उद्यान-भोज) हुआ। रात को किले और महल के बगीचे में बिजली को रौशनी की गई और दल-बादल नाप के शामियाने में, जो वि० सं० १७८७ ( ई० स० १७३०) में अहमदाबाद विजय कर लाया गया था, बृहद्भोज (State banquet) हुआ। ५४४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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