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________________ मारवाड़ का इतिहास अगले महीने (फागुन फ़रवरी) में जोधपुर की 'पोलोटीम' ने दिल्ली में होनेवाले खेल में विजय प्राप्त की। चैत्र वदि ४ ( १७ मार्च ) को शाहजादे के आगमन के उपलक्ष में महाराजा साहब के० सी० वी० ओ० की उपाधि से भूषित किए गए । वि० सं० १९७६ के श्रावण ( अगस्त ) में कुछ महकमों का काम स्वयं महाराजा साहब की निगरानी में होने लगा और उनसे संबन्ध रखनेवाले 'मैंबर' उनके कागजात आपके सामने पेश करने लगे। कुछ समय से मीरखाँ के गिरोह ने बड़ोदा, पालनपुर, राधनपुर, और अहमदाबाद में बड़ा उपद्रव मचा रक्खा था, परन्तु वहां की पुलिस उसे दमन करने में असमर्थ थी । अन्त में भादों सुदि ११ (२ सितंबर ) को मारवाड़ की पुलिस और शुतरसवारों ( Flying camel corps) ने, ठाकुर बखतावरसिंह, सुपरिंटैंडै-पुलिस की अध्यक्षता में, कोटला (गुड़ामालानी) के पास, बड़ी वीरता से उसका सामना कर उसे नष्ट कर डाला । इस कार्य में शुतर-सवार सेना के रिसालदार ठाकुर कानसिंह ने भी अच्छी वीरता दिखलाई थी। १. उस समय जोधपुर की 'पोलो-टीम' में बेड़ा का ठाकुर पृथ्वीसिंह, रोयट का ठाकुर दलप तसिंह, कुंवर हनूतसिंह और रामसिंह थे। वि० सं० १६७६ की वैशाख वदि ४ ( १५ अप्रेल ) को महाराजा साहब रीवां जाकर वहां के महाराजा की बहन के विवाह में सम्मिलित हुए । इसके बाद गरमी का मौसम आ जाने से आप आबू चले गए। वि० सं० १६७६ की ज्येष्ठ सुदि ८ ( ३ जून ) को बादशाह की वर्ष गांठ के उत्सव पर निम्नलिखित सजनों को उपाधियां मिलीं: जसनगर-ठाकुर पण्डित सुखदेवप्रसाद काक ( पोलिटिकल और जुडीशल-मैंबर )-सर (नाइट हुड)। रोयट-ठाकुर दलपतसिंह (दरबार के मिलिटरी सेक्रेटरी) राओ बहादुर । कुँवर नरपतसिंह (रैजीडेंसी के वकील ) राम्रो साहब । भंडारी फौजचन्द ( जज-सिविल कोर्ट ) राय साहब । २. वे महकमे ये थे:-रेख हुकमनामा, मरदानी डेवढी, सिलहख़ाना, अस्तबल और शिकारख़ाना। ३. इस मुठ-मेड़ में शुतर-सवार सेना के जमादार चांपावत शंभूसिंह के मी दो हलके घाव लगे थे। ५४२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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