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________________ महाराजा सुमेरसिंहजी महाराजा सुमेरसिंहजी नवयुवक होने पर भी वीर, निर्भीक, प्रभावशाली और विचक्षण नरेश थे । प्रजा पर आपकी विशेष कृपा रहती थी । छोटी अवस्था में ही शिक्षा के लिये इंगलैंड चले जाने और यूरोपीय महासमर में भाग लेने के कारण आप पाश्चात्य जगत् से पूर्ण परिचित थे । इसी से ब्रिटिश अधिकारियों से मिलने में किसी प्रकार का संकोच नहीं करते थे । आपके राज्य - समय जोधपुर की और भी उन्नति हुई । 1 नगर में बिजली का सरकारी कारखाना खुलजाने और कुछ सड़कों पर बिजली की रौशनी लग जाने से घरों में रौशनी और उन सड़कों पर रात्रि में आवागमन का सुभीता हो गया । जल-कल का प्रबन्ध हो जाने से जनता का जल संबंधी बहुतसा कष्ट भी दूर हो गया । न्याय-विभाग में सुधार कर ' ची कोर्ट' की स्थापना कर देने, अनेक कायदे क़ानूनों के बनजाने, 'मारवाड़ पीनल कोड', 'कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर ' आदि कानून की पुस्तकों के प्रकाशित हो जाने और वकीलों की परीक्षाओं के नियत हो जाने से प्रजा को न्याय - प्राप्त करने में सुभीता हो गया । साथ ही प्रजा के निजी छापाखाना खोलने और जातीय या समाज-सुधारक मासिक पत्रादि निकालने के क़ानून भी बनादिए गए । इसी प्रकार जमीन की सिंचाई के लिये अनेक नए कुँए बनवाए गए और सुमेर - समंद और सूरपुरा आदि बांधों से भी इसमें उन्नति की गई । 'पब्लिक वर्क्स' ( जनता के उपयोग ) के कामों पर पहले से कहीं अधिक रुपया खर्च किया जाने लगा । सड़कों का सुधार किया गया । सारे बड़े-बड़े राजकीय दफ़्तरों में सुभीते के लिये टैलीफोन का लगाना निश्चित हुआ ' जोधपुर - फलोदी' और 'जसवंतगढ़ - लाडनू' की लाइनों के खुल जाने से रेल्वे का विस्तार बढ़कर ५२५ मील से ६०८ मील हो गया और रेल्वे पर लगे कुल रुपयों की तादाद २, १०, १७, २६८ तक पहुँच गई । ४३ लाख रुपियों से अधिक खर्च कर चौपासनी का नया राजपूत - हाईस्कूल बनवाया गया । राज्य की आय अस्सी लाख से बढ़ कर एक करोड़ चौदह लाख के क़रीब हो गई । राज्य के रेल्वे आदि भिन्न-भिन्न सीग़ों में लगे रुपयों ( assets ) की जोड़ २- करोड़ से बढ़कर 83 करोड़ से ऊपर पहुँच गई । इसके अलावा यूरोप के महासमर में भी दरबार की तरफ़ से रुपयों और आदमियों की पूरी सहायता दी गई । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ५३१ www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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