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________________ महाराजा सरदारसिंहजी चैत्र वदि ५ (ई० स० १९११ की २० मार्च ) को ३१ वर्ष की अवस्था में ही महाराजा सरदारसिंहजी का स्वर्गवास होगया । आपके तीन पुत्र थेः-१ सुमेरसिंहजी, २ उम्मैदसिंहजी और ३ अजितसिंहजी। यद्यपि महाराजा सरदारसिंहजी ने केवल १३ वर्ष ही राज्य किया था, तथापि आपके राज्य-काल में मारवाड़ की बराबर उन्नति होती रही । जुरायम-पेशा कौमों के अधिकाधिक खेती का काम अपनाने और पुलिस के प्रबन्ध में उन्नति होजाने से ठगी और डकैती में कमी, कानून कायदों की पाबन्दी और न्यायालयों की उन्नति होने से न्याय की प्राप्ति में सुविधा और बहुतसी वस्तुओं पर की चुंगी उठजाने और बहुतसी पर की कम होजाने से व्यापार में उन्नति होगई। इसी प्रकार खालसे (राज्य) के गांवों की हद-बंदी होजाने और वहां पर बीघोड़ी (नियत-हासिल ) लेने की प्रथा जारी होजाने से राज्य की आय में वृद्धि और काश्तकारों को आसानी हो गई । इसी के साथ जंगलात के प्रबन्ध में भी सुधार किया गया । प्रजा की सुविधा के लिये डाकखानों, शफ़ाखानों, स्कूलों, रेल्वे और सड़कों का विस्तार हुआ । नए बांध बंधवाए १. इस अवसर पर ईडर, बूंदी, जामनगर, किशनगढ़, पालनपुर, रतलाम, अलवर, उदयपुर, बीकानेर और झालावाड़ के नरेशों आदि ने और शहापुरा और दांता के राज-कुमारों ने यहां आकर अपना शोक प्रकट किया; तथा कश्मीर, बड़ोदा, ग्वालियर, जयपुर, नाभा और मिन्द के राजाओं ने अपने प्रतिनिधि भेज समवेदना प्रकट की। २. महाराज के जी. सी. एस. आइ. होने की खुशी में २४ हज़ार रुपये सालाना की चुंगी माफ की गई थी। ३. उस समय मारवाड़ में ८६ डाकखाने थे। ४. उस समय मारवाड़ में २३ शफाखाने थे। ५. उस समय मारवाड़ में १ बी. ए. तक का कॉलेज, १ हाई स्कूल, १६ वर्नाक्यूलर मिडल स्कूल, ४४ एंग्लो वर्नाक्यूलर और वर्नाक्यूलर स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल, १ राजपूत नोबल्स स्कूल, १ संस्कृत स्कूल, १ नौर्मल स्कूल और १ बिज़नेस क्लास था। इनके अलावा २५ ख़ानगी स्कूलों को भी राज्य से सहायता दी जाती थी । उस समय इस महकमे का सालाना खर्च ७६,६६८ रुपये था। ६. महाराजा सरदारसिंहजी के समय रेल्वे-लाइन में १३५ मील का विस्तार हुआ । इससे यहां की रेल्वे लाइन की कुल लंबाई ५२५ मील हो गई । इसी में पीपाड़ से भावी तक की २० मील लंबी एक लाइट ( छोटी ) रेल्वे लाइन भी थी । उस समय तक जोधपुर की रेल्वे पर जोधपुर दरबार का १,४८,५४,६३० रुपया लग चुका था। ७. सरदार-समंद (ई० स० १८६६), ऐडवर्ड-समंद (ई० स. १६०० ) और हेमावास (कार्य का प्रारम्भ )। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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