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________________ मारवाड़ का इतिहास उपर्युक्त चंदों के अलावा दरबार की तरफ़ से, लॉर्ड मिंटो की यादगार में, मेयो कॉलेज ( अजमेर ) के चारों ओर के स्थानों को सुधारने के लिये एक लाख रुपया समग्र भारत की तरफ़ से इलाहाबाद में लॉर्ड मिंटो की यादगार बनाने के लिये दस हजार रुपया और कलकत्ते में घोड़े पर सवार लॉर्ड मिंटो की मूर्ति स्थापन करने के लिये पांच हजार रुपया दिया गया। ___ वैशाख सुदि १ (१० मई) को सम्राट् जार्ज पंचम गद्दी पर बैटे । इसपर दरबार की तरफ़ से भी अवसर के अनुसार खुशी मनाई गई और किले से १०१ तोपें दागी जाने के अलावा जेल में के प्रत्येक कैदी की कैद की अवधि कम कर दी गई। वि० सं० १९६७ के ज्येष्ठ ( ई० स० १९१० के जून ) में बंगाल एशियाटिक सोसाइटी की प्रार्थना पर, राज्य की तरफ़ से 'डिंगल'-भाषा की कविता आदि का संग्रह करने के लिये, 'बार्डिक रिसर्च कमेटी' बनाई गई । पौष (ई० स० १९११ की जनवरी ) में आसोप-ठाकुर चैनसिंह को 'राओ बहादुर' की उपाधि मिली । वि० सं० १९६७ के फागुन (ई० स० १६११ की फ़रवरी) में महाराजा साहब मेरठ गएँ, परन्तु वहां से दिल्ली आते हुए मार्ग में सरदी लगजाने से आपको ज्वर आगया । इस पर आप अजमेर होते हुए जोधपुर लौट आए । यहां पर बहुत कुछ इलाज करने पर भी आपकी तबीअत बिगड़ती गई और वि० सं० १९६७ की १. इस वर्ष की गरमियों में महाराजा साहब कुछ दिनों तक आबू पहाड़ पर रहे और फिर आपने प्रजा की दशा का निरीक्षण करने के लिये जसवन्तपुरा, जालोर, सिवाना, देसूरी, पाली और मालानी आदि प्रान्तों का दौरा किया । २. इस वर्ष के मँगसिर ( नवम्बर ) में नाबालिगी के महकमे का काम पण्डित धर्मनारायण काक को सौंपा गया। वि० सं० १९६७ (ई० स० १९१० ) में महाराजा साहब बंगलोर, कलकत्ता, मेरठ, इलाहा बाद और लखनउ गए। ३. इसी वर्ष की फागुन सुदि १० (१० मार्च ) को मारवाड़ में चौथी बार मनुष्य-गणना की गई । इसवार यह काम सेठ फीरोज़शाह कोठावाला की निगरानी में हुआ और मनुष्यों की संख्या २०,५७,५५३ हुई । ५१४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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