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________________ मारवाड़ का इतिहास पौष बदि १३ ( ई० स० १९०२ की ७ जनवरी) को वायसराय ने, तार द्वरा, महाराज प्रतापसिंहजी के ईडर की गद्दी का हक़दार गान लिये जाने की सूचना भेजी । इस पर माघ वदि ७ ( ३१ जनवरी) को वह ईडर चले गएँ । इसके बाद दरबार ने 'मुसाहिब - प्राला' का पद उठा कर पण्डित सुखदेवप्रसाद काक को 'सीनियर मैंबर' बना दिया । इसी समय पुरानी काउंसिल के स्थान में 'कन्सलटेटिव काउंसिल' ( परामर्श देने वाली सभा ) की स्थापना की गई। इसमें पौकरन, आसोप और कुचामन के ठाकुर तथा कविराजा मुरारिदान मैंबर थे । परंतु उपर्युक्त तीनों सरदारों में से प्रत्येक सरदार बारी-बारी से वर्ष में केवल चार मास काम करता था । ' ऐसिस्टैंट मुसाहिब प्राला' का पद 'ऑफिसर इनचार्ज कस्टम्स' में परिवर्तित कर दिया गया, जी. बी. गॉइडर, जो जोधपुर रेल्वे में था, राजकीय ऑडिट के महकमे का प्रबंध ठीक करने के लिये नियुक्त हुआ और कैप्टन पिन्ने (Pinney ) महाराजा का 'प्राइवेट सैक्रेटरी' बनाया गया । साथ ही राज-कर्मचारियों की काट-छाँट की जाने, कई महकमों का काम शामिल कर देने और प्यादबखशियों के दफ़्तर को उठा देने से राज्य के सालाना खर्च में ६६,००० रुपयों की बचत हो गई । माघ सुदि ७ ( १५ फ़रवरी) को महाराजा सरदारसिंहजी 'कैडेट कोर' की शिक्षा पाप्त करने के लिये मेरठ गएै । इस 'कोर' में सैनिक - शिक्षा के लिये नाम लिखवाने वाले पहले नरेश आप ही थे । आपकी अनुपस्थिति में राज्य का कार्य फिर रैजीडैंट की देखभाल में होने लगा । १. ईडर - नरेश महाराजा केसरीसिंहजी की मृत्यु के बाद उत्पन्न हुआ उनका नवजात बालक भी कुछ ही दिन बाद मरगया । इसी से वहां की गद्दी खाली थी । २. उस समय किले पर से १५ तोपों की सलामी दाग़ी गई । इसी वर्ष गवर्नमेंट ने चीन में दी हुई सहायता के उपलक्ष में महाराजा प्रतापसिंहजी को 'नाइट कमांडर ऑफ दि एकज़ॉल्टेड ऑर्डर ऑफ बाथ, कैडेट कोर का ऑनररी कमांडेंट और सम्राट् सप्तम-ऐडवर्ड का ऑनररी ए. डी. सी. बनाया । साथ ही आपको बादशाह के आगामी राज-तिलकोत्सव के अवसर के लिये 'इम्पीरियल सर्विस' सेना का संचालक नियुक्त किया। सरदार रिसाले के कमांडेंट ठाकुर जससिंघ (बहादुर) को दूसरे दरजे का 'ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश इण्डिया' का सम्मान मिला । ३. वास्तव में आप माघ बदि ६ ( ३० जनवरी) को ही मेरठ चले गए थे, परन्तु बीच में अपना जन्मोत्सव मनाने को जोधपुर लौट आए थे । ४. इसी वर्ष रीयां - ठाकुर विजयसिंह ' कोर्ट- सरदारान' का सहकारी ( जॉइंट ) 'जज' बनाया गया । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ५०४ www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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