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________________ मारवाड़ का इतिहास लिखने का सम्मान प्रदान किया और बाद में चीन से छीनी हुई चार तोपें भी मेट की । महाराज प्रतापसिंहजी के युद्ध में चले जाने के बाद राज्य का कार्य एक 'कमेटी' की देखभाल में होता था। इसके सभापति स्वयं महाराजा सरदारसिंहजी और सभासद् ( मैंबर ) पण्डित सुखदेवप्रसाद काक और कविराजा मुरारिदान थे । वि० सं० १९५७ की पौष सुदि १ ( ई० स० १६०० की २२ दिसम्बर ) को बालोतरा से सादीपाली तक की रेल्वे लाइन खुल गई । इससे कराची की तरफ जाने का सुभीता हो गया। पौष सुदि ७ (२८ दिसम्बर ) को महाराजा सरदारसिंहजी ने स्थानीय 'मिशनअस्पताल' का उद्घाटन किया । इस अस्पताल के लिये दरबार की तरफ से १६,००० रुपये दिए गए थे। माघ सुदि २ ( ई० स० १६०१ की २२ जनवरी ) को सम्राज्ञी विक्टोरिया का स्वर्गवास हो गया । इसपर दरबार की तरफ़ से यथोचित शोक प्रकट किया गया । इसके बाद माघ सुदि ६ ( २८ जनवरी) को उनके पुत्र सम्राट् सप्तम ऐडवर्ड के राज्याभिषेक का उत्सव मनाया गया। वि० सं० १६५७ की फागुन सुदि ११ ( ई० स० १६०१ की १ मार्च ) की रात को मारवाड़ में तीसरी मनुष्य-गणना की गई। १. ये तोप ई० स० १६०२ में दी गई थी। २. इस सादीपाली लाइन के छोर स्टेशन से उमरकोट छ कोस दक्षिण में है। ३. इस अवसर पर तीन दिनों के लिये दिन और रात में छुटनेवाली तीनों तोपें और बाज़ार बंद रहे, कचहरियों में बारह दिन की छुट्टी की गई, शोक-सूचक एक सौ एक तो (मिनट्गन) दागी गई, एक सौ एक कैदी छोड़े गए, गुलाबसागर पर अशौच-स्लान का प्रबन्ध किया गया, बारह दिनों के लिये किले पर की नौबत बंद रक्खी गई और बारह दिनों तक नगर में उत्सव करने की मनाई करदी गई । ४. इस अवसर पर किले से १०१ तोपों की सलामी दागी गई । अकाल के समय की सेवाओं के उपलक्ष में मिस्टर होम (W. Home ) और पंडित सुखदेव प्रसाद काक को कैसरेहिन्द के सोने के पदक और कैटिन ग्राण्ट (Grant), मिस्टर ब्रेमनर (Bremner), पं० ब्रह्मानन्द, मिस् सी. ऐडम्स और नागोर के सेठ रामगोपाल मालानी को चांदी के पदक मिले। ५. सम्राट् सप्तम ऐडवर्ड के राज्याधिकार की घोषणा माघ सुदि ४ (ई० स० १६०१ की २४ जनवरी) को की गई थी। ६. इस कार्य की देख-भाल मीर अहमदहुसैन के ज़िम्मे थी और इस वार मनुष्यों की संख्या १६,३५,५६५ हुई । पहली मरदुमशुमारी वि० सं० १६३७ (ई० स० १८८१) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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