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________________ मारवाड़ का इतिहास और दूसरी मेड़तारोड़ से बीकानेर तक बनवाने का विचार किया गय, तथा सोजत और नागोर की टकसालें बंद करदी गई । पहले जोधपुर-दरबार की तरफ़ से रावरजा सरदारमल राजपूताने के ए. जी. जी. के इजलास का वकील था, परन्तु इस वर्ष बेड़े का कँवर शिवनाथसिंह उसके स्थान पर नियत किया गया और मेहता बखतावरमल के स्थान पर पंचोली मुकनचंद नमक के महकमे का हाकिम बनाया गया । वि० सं० १९४६ ( ई० स० १८८६ ) में पण्डित सुखदेवप्रसाद काक ‘काउंसिल' का ‘मैंबर' नियुक्त हुआ और इसी वर्ष के मँगसिर ( नवंबर) में जब महाराज प्रतापसिंहजी बंबई गए, तब राज्य का कार्य 'काउंसिल' के सुपुर्द किया गया । उसी समय पौकरन - ठाकुर मंगलसिंह, कुचामन - ठाकुर शेरसिंह, नींबाज - ठाकुर छतरसिंह, और आसोप-ठाकुर चैनसिंह भी काउंसिल के मैंबर बनाए गए । इसी मासके अन्त ( दिसंबर) में शिव की तरफ का मारवाड़ और जयसलमेर की सरहदों का झगड़ा तय करने का प्रबन्ध किया गया । वि० सं० १९४६ की फागुन सुदि ३ ( ई० स० १८६० की २२ फरवरी ) को उस समय के प्रिंस ऑफ वेल्स ( His Royal Highness Prince Albert Victor Edward of Wales ) का जोधपुर में आगमन हुआ । इस पर महाराजा ने बड़ी धूमधाम से उनका आदर-सत्कार कियौं । इसी वर्ष राजपूताने के रिसालों का इन्सपेक्टर मेजर ऐस. बीट्सन जोधपुर आया । यही अफसर था जिसने जोधपुर के रिसाले की उन्नति कर उसे एक प्रथम श्रेणी का आदर्श - रिसाला बनाने में सहायता दी थी । वि० सं० १९४७ की चैत्र सुदि ( ई० स० १८९० के अप्रेल ) में मारवाड़ की मनुष्य - गणना के लिये दुबारा 'मर्दुमशुमारी' का महकमा खोला गया । १. ए कलैक्शन ऑफ ट्रीटीज़ ऐंगेजमेंट्स ऐण्ड सनद्स, भा० ३, पृ० १७०-१७१ । २. इसी मास ( नवम्बर ) में नरसिंह - गढ़ नरेश प्रतापसिंहजी जोधपुर आए । ३. यह 'काउंसिल' 'इजलास खास' कहाती थी । ४. इनके लौट जाने पर चैत्र (मार्च) में बून्दी - नरेश जोधपुर आए और इसके बाद वि० सं० १९४७ के वैशाख ( अप्रेल ) और वि० सं० १६४८ के पौष ( ई० स० १८६१ की जनवरी ) में फिर इनका यहां आगमन हुआ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ४८४ www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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