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________________ मारवाड़ का इतिहास आपकी भटियानी रानी प्रताप कुंवरिजी ने भी भगवद्भक्तिपूर्ण अनेक छोटे छोटे ग्रन्थ लिखे थे। इन्हीं महाराज के समय बांकीदास आदि अनेक कवियों ने 'मानजसोमण्डन' आदि अनेक कवित्वपूर्ण ग्रन्थ लिखकर एकाधिक वार पुरस्कार प्राप्त किया था। महाराजा मानसिंहजी के उत्तराधिकारी महाराजा तखतसिंहजी ने भी अनेक पदों की रचना की थी । आपकी जाडेजा वंश की रानी प्रतापकुंवरिजी ( प्रतापबाला ) ने 'हरिपदावली' और 'रामपदावली' नाम के दो ग्रन्थ लिखे थे। इनमें भक्तिरस भरे सुन्दर भजन हैं । १. आप के बनाए ग्रन्थों का संग्रह ईडर की महारानी रत्नकुंवरिजी ने प्रकाशित करवाया है। उसमें उनके बनाए निम्नलिखित ग्रन्थ हैं:-१ ज्ञानसागर, २ ज्ञानप्रकाश, ३ प्रतापपचीसी, ४ प्रेमसागर, ५ रामचन्द्र नाम महिमा, ६ रामगुणसागर, ७ रघुवर स्नेह लीला, ८ रामप्रेम सुखसागर, ६ राम सुजस पचीसी, १० पत्रिका, ११ रघुनाथजी के कवित्त, १२ भजन पद हरिजस, १३ प्रताप-विनय, १४ श्रीरामचन्द्र विनय, १५ हरिजसगायन | (मारवाड़ी भजन सागर,-कवियों का परिचय, पृ० १६-१७) २. महाराजा मानसिंहजी के समय के बने कुछ अन्य ग्रन्थः कवि शंभुदत्त कृत 'नाथचन्द्रोदय', 'जलंधरस्तोत्र' और 'राजकुमारप्रबोध'; पण्डित सदानन्द त्रिपाठी कृत 'अवधूतगीता' की संस्कृत टीका, गीताकी 'सिद्धतोषिणी' नामकी संस्कृत टीका और 'जलंधराष्टक' की 'आत्मदीप्ति' नामकी (संस्कृत) टीका; पण्डित विश्वरूप कृत 'गोरक्षसहस्र-नाम' की टीका, ' मेघमाला' ( संस्कृत पद्यात्मक ); भीष्म भट्ट कृत 'विवेकमार्तण्ड' की 'योगितोषिणी' टीका; मूलचन्द्र यति कृत 'मानसागरी महिमा', 'नायिकाल क्षण'; सेवग दौलतराम कृत 'जलंधर-गुण-रूपक'; शिवनाथ कवि कृत 'जलंधर जस वर्णन'; सेवग वगीराम गाडूराम कृत 'जलंधर जस भूषण', और 'मानसिंह जस रूपक'; कवि बांकीदास कृत 'नाथस्तुति'; चारण चैना कृत 'जलंधरस्तुति'; व्यास ताराचन्द कृत 'नाथानन्द प्रकाशिका'; मीर हैदर अली कृत 'जलंधरस्तुति'; सुकालनाथ कृत 'नाथ आरती'; सेवग पन्ना कृत 'नाथ उत्सव माला'; चारण सेणीदान और भंडारी पीरचन्द कृत 'नाथस्तुति'; और विप्र गुमान कृत भागवत दशम स्कन्ध के ४६ से ६१ तक के अध्यायों का भाषा पद्यानुवाद आदि । इनके अलावा महाराजको प्रसन्न करने के लिये बहुत से अन्य कवियों ने अनेक नाथाष्टक, जलंधराष्टक और फुटकर गीत, कवित्त, दोहे आदि भी लिखे थे । महाराजा मानसिंहजी की एक परदायत तुलछराय भी भगवद्भक्तिपूर्ण-भजन-रचना में प्रवीण थी। ( मारवाड़ी भजन सागर 'कवियों की जीवनी' पृ० ११-१२) ३. आपकी कविताओं का संग्रह प्रतापवरि-पद-रत्नावली' के नाम से प्रकाशित हो चुका है । (मारवाड़ी भजन सागर, कवियों की जीवनी, पृ० १०-११) २४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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