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________________ जोधपुर के राष्ट्रकूट नरेशों का विद्याप्रेम और उनकी दानशीलता। अच्छे विद्वान् थे। उनके बनाए ग्रन्थों के नाम आगे दिए जाते हैं: (१) नाथ चरित्र ( संस्कृत गद्यात्मक काव्य । ) (२) विद्वज्जनमनोरंजनी (संस्कृत-मुण्डकोपनिषद् की टीका प्रथम खंड । ) (३) कृष्णविलास ( भागवत के दशम स्कन्ध का भाषा में पद्यात्मक अनुवाद ।) (४) टीका ( भागवत की मारवाड़ी भाषा की टीका ।) (५) चौरासी पदार्थ नामावली ! भाषापद्यात्मक ? ( इसमें न्याय, साहित्य, संगीत, वैद्यक, आदि अनेक विषय हैं। (६) जलंधरचरित (७) नाथचरित (८) जलंधरचन्द्रोदय (१) नाथपुराण (१०) नाथस्तोत्र (११) सिद्धगंगा, मुक्ताफल, संप्रदाय आदि (१२) प्रश्नोत्तर (१३) पदसंग्रह (१४) शृङ्गार रस की कविता (१५) (परमार्थ विषय की कविता ( भाषा की (१६) नाथाष्टक स्फुट कविता का बड़ा संग्रह) (१७) जलंधर ज्ञानसागर (१८) तेजमञ्जरी (१९) पंचावली (२०) स्वरूपों के कवित्त (२१) स्वरूपों के दोहे (२२) सेवासार (२३) मानविचार (२४) आराम रोशनी (२५) उद्यानवर्णन ५. मिश्रवन्धु विनोद में इनके कुछ अन्य ग्रन्थों के नाम इस प्रकार मिलते हैं:-रागारों जीलो, बिहारी सतसई की टीका, रागसागर, श्रीनाथजी रा दोहा, नाथप्रशंसा, वंशावली (?), नाथजी की वाणी, नाथकीर्तन, नाथमहिमा, नाथसंहिता, रामविलास, फुटकर कवित्त, मवैये, दोहे आदि । ( भा॰ २, पृ० ८६१-८६२) २. इन्हीं महाराजा मानसिंहजी की आज्ञासे श्रीकृष्ण शर्मा ने उक्त उपनिषद् के द्वितीय और तृतीय खण्डों की 'सारग्राहिणी' ( संस्कृत ) टीका और भीष्मपति ने उक्त उपनिषद् की भाषा टीका बनाई थी । यह पिछली टीका अपूर्ण है। ३. जोधपुर दरबार की आज्ञा से इस इतिहास के लेखक ने इसके ३२ अध्यायों को संपादित कर गवर्नमेंट प्रेस, जोधपुर से प्रकाशित करवाया है। ४. इस समय इसका तीसरा और पांचवां स्कन्ध ही उपलब्ध है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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