SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 339
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मारवाड़ का इतिहास कि नवजात कुमारों और दोनों रानियों को यहीं रक्खा जाय । इस पर दुर्गादास आदि तीन सौ सरदार तो दिल्ली में रहे, और बाकी सरदार जोधपुर को रवाने हो गए । 1 इसी समय राजकुमार दलथंभन का स्वर्गवास हो गया । अतः इन लोगों ने बालक नरेश अजितसिंहजी को वहाँ से निकाल ले जाने का प्रबन्ध किया । यद्यपि इनकी देख भाल के लिये शाही गुप्तचरों और सैनिकों का पहरा बिठा दिया गया था, तथापि सरदारों ने इन्हें बलूदे के चाँदावत सरदार मोहकम सिंह की स्त्री बाघेली के साथ सकुशल दिल्ली से निकाल दिया । 'अजितोदय' में लिखा है कि चाँदावत मोहकमसिंह की स्त्री ने अपनी दूध पीती हुई कन्या को तो अजितसिंहजी की धाय को सौंप दिया, और वह स्वयं इन्हें लेकर मारवाड़ की तरफ़ रवाना हो गई । यह देख उसका पुत्र हरिसिंह और खींची वीर मुकुंददास भी उसके पिछे हो लिऐ । इन लोगों के निकल जाने पर दिल्ली में ठहरे हुए सरदारों ने शाही पुरुषों को धोका देने के लिये एक बालक को बनावटी राजकुमार बना लिया था । मारवाड़ में पहुँचने पर कुछ दिन तो बालक महाराज बलूदे में ही रहे, परन्तु इसके बाद उक्त स्थान के चारों तरफ़ - जैतारण, मेड़ता, बीलाड़ा और सोजत आदि में मुसलमानों का अघिकार देख खीची मुकुंददास और दुर्गादास इन्हें सिरोही की तरफ़ ले गएै, और वहाँ पर स्वर्गत्रासी महाराजा जसवंतसिंहजी की रानी देवड़ीजी की सलाह से पुरोहित जयदेव नामक पुष्करणे ब्राह्मण की स्त्री को सौंप दिया । इस पर वह ब्राह्मणी मी अपने गांव कालिंद्री में रहकर बड़ी होशियारी से इनका लालन-पालन करने लगी । खीची मुकुंददास भी संन्यासी का वेशकर वहीं आस-पास में बस गया, और दूर बालक महाराज पर दृष्टि रखने लगी । १. अजितोदय, सर्ग ६, श्लो० ८५-६० । २. अजितोदय, सर्ग ६, श्लो० ६१-६३, 'राजरूपक' में मोहकमसिंहजी की स्त्री का उल्लेख नहीं है । (देखो पृ० ११ ) । ३. अजितोदय, सर्ग ७, श्लो० १ । ४. अजितोदय, सर्ग ५. क्योंकि सिरोही का हो सका था । ६. 'राजपूताने के इतिहास' में लिखा है कि राठोड़ दिही से अजितसिंह को साथ लेकर मारवाड़ की तरफ गए, परन्तु संपूर्ण जोधपुर - राज्य पर बादशाह का अधिकार हो जाने २५४ ܕܘ श्लो० ० ४-७ । राव बादशाह के भय से इन्हें अपने यहाँ रखने में सहमत नहीं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy