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________________ मारवाड़ का इतिहास ( २५ मई ) को दिल्ली जा पहुँचा । उसीके साथ भाटी रघुनाथ और मंत्री केसरीसिंह (कायस्थ) भी कई सरदारों को लेकर बादशाह से प्रार्थना करने के लिये दिल्ली गए थे। इस के बाद काबुल से चला राठोड़ों का दल भी कुछ दिन लाहौर में ठहर आषाढ शुक्ल (जून के अन्त) में दिल्ली आ पहुँचा, और मारवाड़ से आए हुए सरदारों के साथ मिलकर बादशाह से बालक महाराज अजितसिंहजी को मारवाड़ का राज्य देने का आग्रह करने लगा । इस पर बादशाह ने उनसे कहा कि अभी महाराजकुमार बालक हैं । इसलिये कुछ दिन तक इन्हें और इनकी माताओं को नूरगढ़ में रहने दो। जब यह बड़े हो जायेंगे, तब इन्हें इनका राज्य दे दिया जायगा । परन्तु राठोड़ों ने यह बात नहीं मानी । यह देख औरङ्गजेब ने राठोड़ सरदारों को अनेक तरह के प्रलोभन देना प्रारंभ किया । जब इसमें भी उसे सफलता नहीं मिली, तब उसने स्वर्गवासी महाराज के मंत्री केसरीसिंह से महाराज के खजाने का हिसाब आदि समझाने का बखेड़ा शुरू किया, और उसके इनकार करने पर उसे कैद कर लिया। परन्तु इस पर भी वह स्वामि-भक्त मंत्री विचलित न हुआ, और अन्न-जल त्यागकर इस संसार के बन्धन से ही मुक्त हो गया। १. मासिरेआलमगीरी, पृ० १७५ । उसमें यह भी लिखा है कि बादशाह ने खाँजहाँ को शाबाशी देकर आज्ञा दी कि इन मूर्तियों को दरबार के चौक और जुमा-मसजिद के आगे डलवा दे, ताकि ये लोगों के पाँवों के नीचे कुचली जाती रहें । इनमें की कुछ मूर्तियाँ सोने, चाँदी, ताँबे और पीतल की तथा कुछ जड़ाऊ और कुछ पत्थर की थीं। २. अजितोदय में खाँजहाँ का पहले राठोड़-सरदारों को लेकर बादशाह के पास अजमेर जाना और वहाँ से उसके साथ ही दिल्ली लौटना लिखा है । (देखो सर्ग ६, श्लो० ५६-५७)। ईश्वरदास ने लिखा है कि खाँजहाँ के मारवाड़ का राज्य महाराज जसवंतसिंह के नवजात कुमार को देने का निवेदन करने पर बादशाह उससे अप्रसन्न हो गया । 'हिस्ट्री ऑफ़ औरंगज़ेब', मा० ३, पृ० ३७२ का फुटनोट * नहीं कह सकते कि यह घटना इसी अवसर की है या बादशाह के दुबारा अजमेर आने पर भाटी रामसिंह के बादशाह को समझाने के लिये खाँजहाँ को पत्र लिखने के समय की है । (देखो अजितोदय, सर्ग ६, श्लो० १८)। ३. वास्तव में यह ईस्वी सन् १६७६ की जुलाई में दिल्ली पहुंचा था। ४. अजितोदय में सलेमकोट लिखा है । (सर्ग ६, श्लो० ६६) । ५. मनासिरेआलमगीरी, पृ० १७७ । ६. अजीतोदय, सर्ग ६, पृ० ६७-७३, ७६ । २५२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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