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________________ मारवाड़ का इतिहास उन्मत्त सीसोदियों और खुर्रम के अन्य सैनिकों ने राठोड़ों को मार भगाने का बड़ा प्रयत्न किया, तथापि वीर राठोड़ अपने स्थान से जरा भी न हटे । उलटा कुछ देर के युद्ध के बाद ही सेनापति भीम के मारे जाने से सीसोदियों का उत्साह शिथिल पड़ गया, और खुर्रम की विजय पराजय में बदल गई । इनकी इस वीरता से प्रसन्न होकर जहाँगीर ने इनके सवारों में १,००० की वृद्धि करने के साथ ही इनका मनसब पाँच हजारी जात और पाँच हज़ार सवारों का करदिया । इसके बाद महाराज ने प्रयाग पहुँच चाँदी से तुलादान किया और वहाँ से यह दक्षिण की तरफ़ चले गए । जिस समय महाराज दक्षिण में थे, उस समय एक बार शाहजादे खुर्रम ने अचानक पहुँच बुरहानपुर को घेर लियाँ । इस अवसर पर भी राजा गजसिंहजी ने भाद्राजन के ठाकुर मुकुंददास आदि को साथ लेकर शाहजादे की सेना को भगाने में बड़ी वीरता दिखलाई । १. ख्यातों में लिखा है कि इसके साथ बराड़ प्रांत का जलगाँव इन्हें जागीर में दिया गया था । २. इसका उल्लेख मारवाड़ की ख्यातों में है, और इसकी पुष्टि 'बादशाहनामा' के लेख से भी होती है | (देखो पृष्ठ १५८ ) । ३. इस समय मलिक अंबर भी खुर्रम के साथ था । ४. 'गुणरूपक' में लिखा है: जिस समय बादशाह काश्मीर में था, उस समय खर्रम ने माँडू पहुँच बगावत का झंडा उठाया | इसकी सूचना पाते ही उधर तो बादशाह घबरा कर दिल्ली की तरफ चला और इधर खुर्रम अजमेर, साँभर, टोडा और रणथंभोर होता हुआ दिल्ली के तख्त पर अधिकार करने की नीयत से रवाना हुआ। उस समय सीसोदिया भीम मेड़ते में था | खुर्रम ने उसे अजमेर पर अधिकार करने की आज्ञा दी । इस पर उसने सादूल को हराकर वहाँ पर अधिकार कर लिया । इसके बाद खरंम सीकर होता हुआ दिल्ली के निकट पहुँचा । इसी बीच बादशाह भी ससैन्य वहाँ आगया । इससे दोनों सेनाओं के बीच युद्ध छिड़ गया । परन्तु युद्ध का रंग अपने लिये फीका देख बादशाह ने वज़ीर के कहने से राजा गजसिंहजी को मदद के लिये बुलवाया । इससे महाराज भी कूँपावत राजसिंह आदि वीर-सामंतों को लेकर चैत्र सुदि ११ को जोधपुर से रवाना हुए। इनके बादशाह के पास पहुँचने पर उसने युद्ध का सारा भार इन्हीं को सौंप दिया। इसके बाद महाराज शाही सेना के साथ, खुर्रम का पीछा करने को प्रयाग, काशी और गया की यात्रा करते हुए इस नदी के उस पार कोरटा में पहुंच ठहर गए । उस समय खुर्रन का पड़ाव खैरागढ़ में था । इससे दोनों की सेनाओं के बीच केवल दो कोस का फासला रह गया । इसके बाद खुर्रम की सेना के अग्रभाग में तो महाराना अमरसिंह का पुत्र सीसोदिया Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat २०४ www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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