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________________ राव मालदेवजी फारमी तवारीखों से राव मालदेवजी के प्रभाव, पराक्रम और ऐश्वर्य के विषय के कुछ अवतरण । मालदेव, जो उसकी १६वीं पुश्त में है, बहुत बढ़ा-चढ़ा है । करीब था शेरखाँ का भी उसके मुकाबले में काम तमाम हो जाता । वैसे तो इस मुल्क में बहुतसे किले हैं; लेकिन उनमें अजमेर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, उमरकोट, आबूगढ़ और जालौर के किले खास हैं । (आईने अकबरी, दफ्तर २, पे० ५०८) हि० सन् १६९, साल जुलूस ७, में बादशाह (अकबर ) ने मिर्जा शर्पाद्दीन हुसैन को मेड़ते का परगना ओर किला फतेह करने के लिये भेजा और उसकी मदद के लिये बहुतसे बड़े-बड़े शाही अमीर साथ किए गए। यह मेड़ते का किला उस समय राव मालदेव के अधिकार में था, जो तमाम दूसरे रायों और राजाओं से हिंदुस्तान के रिवाजों और नाम में बढ़ा हुआ था । तथा शान शौकत में भी बढ़कर था । (अकबरनामा, जिल्द २, पे० १६०) मेड़ते पर कब्जा कर लेने के बाद जब हि० सन् १७१, साल जलूस ८, में बादशाह (अकबर ) मिर्जा शर्फ़द्दीन की तरफ से फारिग हो गया, तो किले जोधपुर के, जो उस मुल्क के मजबूत किलों में से है, फतेह करने का इरादा किया । यह किला राव मालदेव की, जो हिंदुस्तान के बड़े राजाओं में दरजा, इज्जत, फौज और मुल्क की अधिकता में सबसे बढ़कर था, राजधानी था। (अकबरनामा, जिल्द २, पे० १९७) बादशाह हुमायूँ आखिरकार मालदेव की तरफ़, जो हिंदुस्तान के मौतबिर जमींदारों में से था और उस ज़माने में हिन्दू-रईसों में ताक़त और फ़ौज में उसके बराबरी का कोई न था, रवाना हुआ । ( तबकाते अकबरी, पे० २०५) ___ मालदेव कि जो नागोर और जोधपुर का मालिक था, हिन्दुस्तान के राजाओं में फ़ौज और ठाट ( हशमत ) में सबसे बढ़कर था । उसके झंडे के नीचे ५०,००० राजपूत थे। (तबकाते अकबरी, पे० २३१-२३२) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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