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________________ राव चूंडाजी तय कर ईदों ने अपने मुखिया राना उगमसी की पोती ( गंगदेव की पुत्री) चंडाजी को ब्याह दी, और उसके दहेज़ में मंडोर का किला भी इन्हें दे दिया। इस आशय का यह सोरठा मारवाड़ में अब तक प्रसिद्ध है: ईदारों उपकार, कमधज मत भूलो कदे । चूंडो चँवरी चाढ, दी मंडोवर दायजे ॥ इसके बाद ही राव चूंडाजी ने चावंडा नामक गाँव में अपनी इष्टदेवी चामुंडा का मंदिर बनवाया । यह अब तक विद्यमान है । चूंडाजी के मंडोर प्राप्त करने की सूचना पाकर रावल मल्लिनाथजी स्वयं इनसे मिलने को मंडोर आए । चूंडाजी ने भी उनका यथायोग्य सत्कार किया। उनके कुछ दिन रहकर लौट जाने पर यह (चुंडाजी) बड़ी तत्परता से अपने अधिकृत किले की रक्षा का प्रबंध करने लगे। उन दिनों दिल्ली पर तुगलकों का अधिकार था । परंतु उनकी शक्ति के क्षीण हो जाने से चूंडाजी को अच्छा मौका मिल गया । कुछ दिनों में मंडोर के प्रबंध से छुट्टी पाकर इन्होंने आस-पास के मुसलमानों को भी तंग करना शुरू किया। .--. ..--. ५. किसी-किसी ख्यात में इसका नाम राय धवल लिखा है । २. कर्नल टॉड ने चंडाजी का पड़िहार-नरेश को मारकर मंडोर पर अधिकार करना लिखा __ है (ऐनाल्स ऐंड ऐंटिक्विटीज़ अॉफ् राजस्थान, क्रुक-संपादित, भा० १, पृ० १२०; और __भा० २, पृ० ६४४), परन्तु यह ठीक प्रतीत नहीं होता। ३. यह गाँव जोधपुर से ७ कोस वायुकोण में है । ४. इस मंदिर की बग़ल में एक पहाड़ी गुफा है। उसका आधा भाग मंदिर में आ गया है, और प्राधा खुला है । उसी खुले हुए भाग की एक तरफ़ की चट्टान पर एक लेख खुदा है, जिसमें केवल निम्नलिखित पंक्तियाँ ही पढ़ी जाती हैं:संवत् १४५१ वर्षे मार्गसिर सुदि ३ त्रि(तृ) ति( ती ) या वृहस्पतिवारे उत(त्त ) राषाढा नक्षत्रे मध्ये मि(मी)न लग्ने मकरस्थं चन्द्र (न्द्रे) उच(च)नक्षत्रे (आगे एक कुंडली बनी है । उसके पहले घर में १२ का अंक और 'वृ लिखा है, दूसरे और तीसरे घरों में क्रमशः १ और २ के अंक खुदे हैं, और कुंडली के बीच में 'श्री' लिखा है)। इससे ज्ञात होता है कि चंडाजी ने इस तिथि के पूर्व ही मंडोर पर अधिकार कर लिया था। परन्तु किसी-किसी ख्यात में इस घटना का समय वि० सं० १४५२ भी लिखा है। फिर भी उपर्युक्त तिथि ही अधिक प्रामाणिक प्रतीत होती है । उपर्युक्त लेख में की वि० सं० १४५१ की मंगसिर सुदी ३ को ई० सन् १३६४ की २६ नवंबर थी । ६१ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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