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________________ मारवाड़ का इतिहास उस समय मंडोर पर माँडू के सूबेदार का अधिकार था, और वहाँ पर उसकी तरफ़ से एक अधिकारी रहा करता था । एक बार इसी अधिकारी ने आस-पास में रहनेवाले ईंदा (पड़िहार ) राजपूतों से घोड़ों के लिये घास भेजने को कहलाया । इस आज्ञा से ईंदों ने अपना अपमान समझा, और इसलिये आपस में सलाहकर सौ गाड़ियाँ ऐसी तैयार कीं, जिनमें ऊपर से तो घास भरी हुई मालूम होती थी, परंतु भीतर प्रत्येक गाड़ी में शस्त्रों से सजे चार-चार योद्धा छिपे थे । इसी प्रकार गाड़ीवान के स्थान पर भी एक-एक योद्धा बैठा था, और उसके शस्त्र घास के भीतर छिपे थे । जब ये गाड़ियाँ किले में पहुंची, तब इनमें के पाँच सौ आदमियों ने निकलकर वहाँ पर उपस्थित यवन- सैनिकों को मार डाला । इससे किले पर ईंदा पड़िहारों का अधिकार हो गया । यह घटना वि० सं० १४५१ ( ई० सन् १३९४ ) की है । इस कार्य में ईंदा शिखरा की सलाह से चूंडाजी के योद्धाओं ने भी भाग लिया था । इस प्रकार अपने खोए हुए किले के एक बार फिर अपने अधिकार में आ जाने पर ईंदों ने सोचा कि, यद्यपि इस समय तो हमने इस दुर्ग पर अधिकार कर लिया है, तथापि जिस समय भागे हुए मुसलमान नागोर और अजमेर से सहायता प्राप्तकर किले पर प्रत्याक्रमण करेंगे, उस समय इसकी रक्षा करना अवश्य ही कठिन हो जायगा । इसलिये यदि चूंडाजी मंडोर का अधिकार मिल जाने पर हमारे ८४ गाँवों में हस्तक्षेप न करने की प्रतिज्ञा करलें, तो यह किला उन्हें सौंप दिया जाय । इस प्रकार यवनों से इस दुर्ग की रक्षा भी हो जायगी, और इस पर अधिकार करते समय दी हुई चूंडाजी की सहायता का बदला भी उतर जायगा । इसके बाद शीघ्र ही सब बातें १. उस समय मंडोर के राज्य में ३४२ गाँव थे । इनमें से ८४ पर ईदा पड़िहारों का, ८४ पर बालेसों का ८४ पर आसायचों का, ५५ पर मांगलियों का और ३५ पर कोटेचों का अधिकार था । २. ख्यातों से ज्ञात होता है कि जिस समय ये गाड़ियाँ किले पर पहुँची, उस समय एक मुसलमान सैनिक ने यह मालूम करने के लिये कि इन गाड़ियों में अच्छी तरह से घास भरी गई है या नहीं, अपना बरछा एक गाड़ी में भरी वास में घुसेड़ दिया । यद्यपि उस बरछे की नोक घास के अंदर छिपे एक सैनिक की जाँघ में घुस गई, तथापि उसने बाहर खींचे जाने के पहले ही उसे कपड़े से पोंछ लिया । इससे उसमें लगे रुधिर का उस मुसलमान सैनिक को पता न चला। उलटा बरछे के बाहर खींचें जाने में रुकावट पड़ने से उसने समझा कि गाड़ी में घास ख़ूब दबाकर भरी गई है । ६० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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