SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मंत्रीश्वर विमलशाहने जीवन में अजति समस्त धनराशि का सदुपयोग कर प्रज्वलित किया। उस महापुरुष की उच्च, निर्मल एवं पावन भावनाओं का प्रतीक ये मंदिर आज भी मानवमें छिपी आध्यात्मिक ज्योति का दिग्दर्शन कर रहे है। मंत्रीश्वर विमलशाह पराक्रमी व महान दयालु पुरुष थे। आज संसार के बड़े बड़े राष्ट्रोंकी विपुल सम्पति संहार के शस्त्रों के निर्माण में लग रही है और उनकी यह दूषित वृत्ति शान्ति के लिये प्रश्नवाचक चिह्न बन गई है । मानव मानव की हत्या पर तुला हुआ है। कैसी विडम्बना है। इन प्रलयकारी घड़ियोंमें ऐसे महान सपूत की गौरव गाथा ही, इन बड़े राष्ट्रों को अहिंसा तथा उपकरणों के सदुपयोग की राह पर, अग्रसर करने में सिद्धहस्त हो सकती है। चरित्र निर्माणमें ऐसे महापुरुषों की जीवन गाथा अपना विशिष्ट महत्व रखती है। विद्वान लेखक शतावधानी पंन्यास जी श्री कीर्ति विजयजी गणिवरने इस पुस्तक में बड़ी ही सरल भाषामें मंत्रीश्वर विमलशाह के चरित्र का चित्रण किया है। आपकी शैली बड़ी ही रोचक व भावपूर्ण है। __इस पुस्तकके प्रकाशनमें श्री अमृतलाल विनयचंदजी सिंधी, सिरोही निवासी ने जो द्रव्य सहायता प्रदान की है उसके प्रति मंडल अपना आभार प्रदर्शित करता है। इस पुस्तक के संपादन कार्य में श्री रणजीतमलजी सिंधी व श्री बाबुमलजी मुत्ता द्वारा दी गई सेवाओं के लिए भी मंडल अपना आभार प्रकट करता है। सिरोही चंपतलाल दोसी दिनांक ३१-१०-६६ मंत्री . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034552
Book TitleMantrishwar Vimalshah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtivijay Gani
PublisherLabdhi Lakshman Kirti Jain Yuvak Mandal
Publication Year1967
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy