SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४४] * महावीर जीवन प्रभा * योजन विस्तार वाला, आठ योजन ऊंचा और एक योजन लोलक वाला सुघोषा घण्ट ५०० पाँच सौ देवों ने मिल कर बजाया, उसके आवाज़ से ३२ लाख विमानों के तमाम छोटे बड़े घण्ट बजने लगे, इससे सर्व देव सावधान होगए; इसही तरह तमाम इन्द्रों ने अपने अपने घण्ट बजवाये; जिससे तमाम देव इन्द्र के पास हाजिर होगए, इन्द्र महाराज ने भगवन्त के जन्माभिषेक की घोषणा की, समग्र देव तत्पर होगए। हरिणगमेषी देव द्वारा तैयार किये हुए एक लक्ष योजन प्रमाण पालक नामक विमान में सौधर्मेन्द्र विराजे , सन्मुख इन्द्राणियाँ नाटक करने लगीं, बाई तरफ सामानिक देव बैठे, दाहिनी ओर तीन पर्षदा बैठीं, पीछे सात सेनाओं ने स्थान लिया; इसही प्रकार अन्य इन्द्र भी अपने अपने वाहनों में सवार होकर नन्दीश्वर द्वीप पहुचे कितने ही देव अपने भावों से, कितने ही इन्द्र के आदेश से, कितनेक मित्र के कहने से , कतिपय प्रिया के आग्रह से , कितने ही कौतुक से और बहुत से आश्चर्यवश रवाना हुए- जुदे जुदे प्रकार के वहानों पर बैठे हुए इस कदर सत्तावाही वचनों से बोलते हैं- सिंह वाला देव हाथी वाले देव को ललकार कर कहता है- तेरे हाथी को दूर हटा, नहीं तो मेरा सिंह मार डालेगा; इस तरह गरुढ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034546
Book TitleMahavir Jivan Prabha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagar
PublisherAnandsagar Gyanbhandar
Publication Year1943
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy