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________________ કાવ્ય ભેદ, ૧૨૩ शुशुमधमा नामैकगुणवंध. भाषाछलगुणबंध. कल्पवृक्ष गुणबंध, मने शतधेनुगुणबंध. गतियित्रमा व्यस्त. समस्त. गतागत अने. अश्वगति. આ ચાર ભેદ પ્રાધાન્ય છે. स्यां मम शय उवाय से व्यस्त. न्यां संपूर्ण व्य वाय से समस्त. ઉપરના બનેની સાથે ગતાગત મળે છે तागतम पादानुपादगतागत. अर्धगतागत, तदक्षरतदर्थ गतागत. भिन्नपदार्थगतागत. प्रतिलोमगतागत, अनुलोमगतागत. भाषान्तरगतागत. व्यस्तगतागत. समस्तगतागत. स्वस्तिकगति. डमरुगति. सर्वतोभद्रगति. रथगति भने अश्वगति वगेरे लेहो छ. अर्थयित्रमा एकाक्षर अर्थचित्र, द्विअक्षर अर्थचित्र, व्यक्षर अर्थचित्र, चतुरक्षर अर्थचित्र, प्रहेलिका अर्थचित्र, द्रष्टकूट प्रहेलिका अर्थचित्र. शास्त्रोक्त प्रहेलिका अर्थचित्र. सनाम प्रहेलिका अर्थचित्र मने वर्ण प्रहेलिका अर्थचित्र मानव हो छ. .. ___ अर्थयित्रमा एकाक्षरअर्थचित्र, द्विअक्षरअर्थचित्र, व्यक्षर अर्थचित्र, चतुरक्षरअर्थचित्र भने प्रहेलिकाअर्थचित्र. .. व्यथित्रमा सूक्ष्मालंकार अर्थचित्र, बहिरापिका : अर्थचित्र, अन्तापिका अर्थचित्र, गूढोत्तर अर्थचित्र, शासनोत्तर अर्थचित्र, एकानेकउत्तरआयंतचरणअर्थचित्र, अपह्नति अर्थचित्र अने श्लेष अर्थचित्र. જ્યાં બીજા અક્ષરની સહાયતા વિના એકજ અક્ષરથી અર્થ ॥थाय सेवा अक्षरोथी ४०य स्याय ये एकाक्षर अर्थचित्र. જ્યાં ત્રીજા અક્ષરની સહાયતા વિના બે અક્ષરથી જ અર્થ थाय सेवा अक्षरोथी ४०य स्थाय से द्विअक्षर अर्थचित्र, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034535
Book TitleKavyashastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajkavi Nathuram Sundarji
PublisherRajkavi Nathuram Sundarji
Publication Year1919
Total Pages672
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size59 MB
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