SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३६] श्री जन शासन संस्था के कोई पण गृहस्थना रहेठाण विगेरे अंगत कार्यो माटे ते मकाननो उपयोग थई शके नहि ता० क० ज्ञान शम्बनो सम्यक ज्ञान अर्थात् जैन धार्मिक ज्ञान छ । आमां व्यवहारिक केलवणीनो समावेश थई शके नहीं। साधु-साध्वी (चोंथु पाँच, क्षेत्र): श्रावक श्राविकाए पोताना तरफथी भक्ति निमित्त काढेल द्रव्य अने श्री संघमायी साधु साध्वी वैयावच्च निमित्त टोपथी (चंदाथी) एकत्र करेल जे द्रव्य ते साधु साध्वी वैयावच्चमां खरची शकाय। श्रावाक श्राविका क्षेत्र (छठटुं अने सात) धावण श्राविकाओने धर्म भावना टकी रहे ए उद्देश थी एना जीवन निर्वाह माटे आ क्षेत्रनुं द्रव्य आपी सकाय । (८) साधारण खातु १. सात क्षेत्र तथा बोजा धार्मिक कार्यो निमित्ते एकत्र करेल द्रव्य ते साधारण द्रव्य कहेवाय । २. आ साधारण द्रव्य सात क्षेत्र पैकी तथा बीजा धार्मिक कार्यो पैकी कोईपण धार्मिक कार्यमां वापरी शकाय । पण दोन दुःखी या याचक विगरेने आपी शकाय नहीं । (९) साधार्मिक वात्सल्य साधार्मिक वात्सल्य एटले साधार्मिक (समान धर्मी) भाई बहेनोनी विविध प्रकारनी भक्ति निमित्त योजायेल कार्यों जेवा के नवकारसी, स्वामीवात्सल्य तपस्वीओ ना अतर वायणा-पारणा, एकासणा, आयंबिल, पौषाती आदिना भोजन (जमण), प्रभावना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034526
Book TitleJain Shasan Samstha ki Shastriya Sanchalan Paddhati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankarlal Munot
PublisherShankarlal Munot
Publication Year1966
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy