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________________ पञ्चम अध्याय | पोरवाल ज्ञातिभूषण नररत्न वस्तुपाल और तेजपाल का वर्णन | वीर धवल वाघेला के राज्यसमय में वस्तुपाल और तेजपाल, इन दोनों भाइयों का बड़ा मान था, वस्तुपाल की पत्नी का नाम ललिता देवी था और तेजपाल की पत्नी का नाम अनुपमा था । वस्तुपाल ने गिरनार पर्वत पर जो श्री नेमिनाथ भगवान् का देवालय बनवाया था वह ललिता देवी का स्मारकरूप ( स्मरण का चिह्नरूप ) बनवाया था । किसी समय तेजपाल की पत्नी अनुपमा देवी के मन में यह विचार उत्पन्न हुआ कि अपने पास में अपार सम्पत्ति है उस का क्या करना चाहिये, इस बात पर खूब विचार कर उस ने यह निश्चय किया कि -आबूराज पर सब सम्पत्ति को रख देना ठीक है, यह निश्चय कर उस ने सब सम्पत्ति को रख कर उस का अचल नाम रखने के लिये अपने पति और जेठ से अपना विचार प्रकट किया, उन्हों ने भी इस कार्य को श्रेष्ठ समझ कर उस के विचार का अनुमोदन किया और उस के विचार के अनुसार आबूराज पर प्रथम से ही विमलशाह के बनवाये हुए श्री आदिनाथ स्वामी के भव्य देवालय के समीप में ही एक सुन्दर देवालय बनवाया तथा उस में श्री नेमिनाथ - स्थापित की । चण्डप 1 चन्द्रप्रसाद १- इन्हीं के समय में दशा और बीसा, ये दो तड़ पड़े हैं जिन का वर्णन लेख के बढ़ जाने के भय से यहाँ पर नहीं कर सकते हैं ॥ २-इन की वंशावलि का क्रम इस प्रकार है कि: अश्वराज ( आसकरण ), इस की स्त्री कमला देवी लुंग मदनदेव ६५५ T Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat वस्तुपाल संगमरमर पत्थर का भगवान् की मूर्ति | तेजपाल T लावण्यसिंह जेतसिंह ३- बम्बई इलाके के उत्तर में आखिरी टाँचपर सिरोही संस्थान में अरवली के पश्चिम में करीब सात माइल पर अरवली की घाटी के सामने यह पर्वत है, इस का आकार बहुत लम्बा और चौड़ा है अर्थात् इस की लम्बाई तलहटी से २० माइल है, ऊपर का घाटमाथा १४ माइल है, शिखा २ माइल है, इस की दिशा ईशान और नैर्ऋत्य है, यह पहाड़ बहुत ही प्राचीन है, यह बात इस के स्वरूप के देखने से ही जान ली जाती है, इस के पत्थर वर्तुलाकार ( गोलाकार ) हो कर सुँवाले ( चिकने ) हो गये हैं, इस स्थिति का हेतु यही है कि इस के ऊपर बहुत कालपर्यन्त वायु और वर्षा आदि पञ्च महाभूतों के परमाणुओं का परिणमन www.umaragyanbhandar.com
SR No.034525
Book TitleJain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreepalchandra Yati
PublisherPandurang Jawaji
Publication Year1931
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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