SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 255
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४० जैनसम्प्रदायशिक्षा | शरीर के धातुओंको गला कर बिगाड़ देता है, बहुत से मनुष्यों को यह शौक पड़ जाता है कि वे भोजन की सब चीजों में नमक अधिक खाते हैं परन्तु अन्त इस से हानि होती है । में हूँ बाजरी और दूध आदि चीजों में यथावश्यक थोड़ा २ खार कुदरती होता है और दाल तथा शाक आदि पदार्थों में ऊपर से नमक का यथावश्यक भाग पूरा होता है । हम सब लोगो में क्षावाले पदार्थ सदा अधिक खाये जाते हैं जैसे- दाल, शाक, चटनी, राइता, पापड़, खीचिया और अचार आदि, इन सब पदार्थों में नमक होता है इस लिये सब का थोड़ा २ भाग पूरा हो जाता है, खारवा नमक के अधिक खाने से शरीर में गर्मी, शरीर का टूटना और धातु का गिरना आदि विकार मालूम होने लगते हैं । नमक वा खार को भेदक ( तोड़नेवाला ) जानकर बहुत से मूर्ख वैद्य तापल्ली आदि पेट की गांठ को मिटाने के लिये बीमारों को अधिक खार खिला देते हैं उसका नतीजा आगे बहुत बुरा होता है, प्रायः पुरुषों का पुरुषत्व जो नष्ट होता है उस में मुख्य हेतु बहुधा खार का अधिक सेवन ही सिद्ध होता है, इस लिये यह बात सदा खयाल में रखनी चाहिये कि अधिक खार का सेवन वीर्य को नष्ट कर देता है, अतः सब को परिमित ही खार का सेवन करना चाहिये । अब संक्षेप से सब प्रकार के खार और नमकों के गुण दिखलाये जाते हैं:सेंधा नमक - मीठा, अग्निदीपक, पाचन, लघु, स्निग्ध, रोचक, पीतल, बलकारक, सूक्ष्म, नेत्रों को हितकारी और त्रिदोषनाशक है । सांभर नमक - हलका, वातनाशक, अतिउष्ण, भेदक, पित्तकारक, ती गोष्ण; सूक्ष्म और अभिष्यन्दी है तथा पचने के समय चरपरा है। सामुद्र नमक- पाक में मधुर कुछ कटु, मधुर, भारी, दीपन भेदी, अविदाही, कफवर्धक, वायुनाशक, तिक्त, रूक्ष और अत्यन्त शीतोष्ण नहीं है । विड नमक - क्षारगुणयुक्त, दीपन, हलका, तीक्ष्ण, उष्ण, रूक्ष, रोचक और व्यवायी है, यह कफ और वादी के अनुलोमन है अर्थात् कफ को ऊपर को तरफ से तथा वादी को नीचे की तरफ से निकालता है, एवं विबन्ध, अफरा विष्टंभ और शरीर गौरव ( देह के भारीपन ) को मिटाता है । सौवर्चल (काला) नमक - रोचक, भेदक, अग्निदीपक, अत्यन्तपाचक, स्नेह युक्त, वायुनाशक, विशद, हलका, सूक्ष्म, डकार की शुद्धि करनेवाला तथा पित्त को कम बढ़ानेवाला है, एवं विबंध, अफरा और शूल रोग का नाशक है 1 २ यह राजा ताने की ३ - यह नमक समुद्र के ४-यह नमक हिमालय पर्वत के सक्षार ( खार के सहित ) जल से । १. अत्यन्त सेवन करने से नमक मनुष्य को अन्धा कर देता है सांभर झील से पैदा होता है इसी लिये इस का यह नाम पड़ा है । जल से बनाया जाता है । बनाया जाता है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034525
Book TitleJain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreepalchandra Yati
PublisherPandurang Jawaji
Publication Year1931
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy