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________________ चतुर्थ अध्याय । ३.दाहशमन-ठंढा पानी शरीर के भीतर के और उपर के दाह को शान्त करता है तथा तृषा (प्यास) को भी शान्त करता है। ठंडे पानी से आंखों की गर्मी शीघ्र ही शान्त हो जाती है अर्थात् यदि खून से आंख लाल हो जावे तो मुंह में ठंढा पानी भर लेना चाहिये और प्रतिदिन दो तीन वार टंडे पानी के छींटे आंखपर देने चाहियें, ऐसा करने से शीघ्र ही लाभ होगा। सरत ज्वर में भी माथेपर ठंडे पानी से भीगा हुआ कपड़ा रखने से फायदा होता है अर्थात् ऐसा करने से ज्वर की गर्मी मगज़ में नहीं चढ़ने पांती है ॥ उष्ण पानी के गुण ये हैं कि-गर्म पानी वादी और कफ के बहुत से रोगोंमें फायदा करता है, यह प्रायः देखा गया है कि-वादी और कफजन्य रोग ही प्रायः प्राणियों को होते हैं इस लिये उष्ण पानी का उपयोग ओषधिरूप में अनेक रीति से हो सकता है, जैसे-सेक, बफारा अथवा नस्य देना, पिचकारी लगाना, कुरला करना, पानी में बैठना और प्रक्षालन आदि, इन सब का संक्षेप से वर्णन करते हैं: १-सेक-शरीरपर होनेवाली गांठें गुमड़े और शोथ (सूजन) आदि रोगों में प्रायः एलटिस (आंटे आदि की लपरी) बांधने की चाल है परन्तु गर्म पानी का सेक पुलटिस से भी अधिक फायदेमन्द है, क्यों कि होते हुए दर्द में पानी का सेक दर्द को दबा देता है अर्थात् उस की प्रबलता को घटाकर उस की पीड़ा को कम कर देता है और ख़ासकर गुमड़ोंपर तो गर्म पानी का सेक करना बहुत ही लाभदायक है, क्यों कि यह गुमड़ों को जल्दी पकाकर फोड़ देता है जिस से पीड़ा शान्त हो जाती है। • पेट का दर्द, गुर्दे का वरम, शोथ, पसुली और छाती आदि का शूल तथा लोहू का जमाव आदि दर्दी में भी उप्ण पानी का सेक बहुत फायदा करता है। __ गर्म पानी का सेक करने की यह रीति है कि-गर्म पानी में फलालेन अथवा उन आदि का कोई गर्म कपड़ा भिगोकर तथा निचोड़ कर दर्दपर वारंवार रखना चाहिये क्यों कि उस भीगे हुए कपड़े रखने से उस की भाफ का सेक आच्छे कार असर करता है, अथवा इस की दूसरी रीति यह भी है कि-सिगड़ी (वरोर्स ) पर पानी की पतीली रखकर उस के ऊपर चाल नी को रखना चाहिये और उस (चालनी) में गर्म कपड़ा रखकर ऊपर से थाली ढांक देनी चाहिये, ऐसा करने से पानी की भाफ कपड़े में आ जाती है, उसी कपड़े से सेक करना चाहिये, क्यों कि-उस कपड़े से किया हुआ सेक बहुत लाभदायक होताहै। योनियाक, इन्द्रियपाक तथा वृपणशोथ (अण्डकोश की सूजन) पर गर्म पानी का सेक करने से वह स्थान नरम पड़ जाता है तथा पीड़ा शान्त हो जाती है, एवं पेडूगर गर्म पानी का सेक करने से मूत्र खुलासा उतरता है। १-शीनल पानी के द्वारा तृषा के मिटने का अनुभव तो सवही को है ।। २-ज्वर की गर्मी जब मगज़ पर चढ़ जाती है तो प्राणों की शीघ्र ही हानि हो जाती है । १६ ने. सं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034525
Book TitleJain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreepalchandra Yati
PublisherPandurang Jawaji
Publication Year1931
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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