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________________ (४०) श्रावण शुक्ल पंचमी को गृहिज्ञात [सांवत्सरिक कृत्य विशिष्ट श्रीपर्युषण पर्व करने वाले साधुओं को कार्तिक पूर्णिमा पर्यंत १०० दिन उस क्षेत्र में शेष रहने के होते हैं, श्रावण अमावास्या को उक्त गृहिअज्ञात पर्युषणपर्व की स्थापना करनेवालों को १०५ दिन होते हैं, एवं श्रावण कृष्ण दशमी को ११० दिन, एवं श्रावण कृष्ण पंचमी को ११५ दिन, एवं आषाढ़ पूर्णिमा को गृहिअज्ञात पर्युषण पर्व की स्थापना करके रहे हुए साधुओं को कार्तिक पूर्णिमा पर्यंत १२० दिन रहने के होते हैं, कारणयोगे पुनः काउण मासकप्पं, तत्थेव ठियाण जइ वास । मग्गसिरे सालंबणाणं । छम्मासिनो जेट्टोग्गहो होइत्ति ॥२॥ इस नियुक्ति गाथा से दूसरा अधिक आषाढ़ मास कल्प के दिनों को गिनती में मान कर मगसिर मासकल्प पर्यंत ६ महीने अर्थात् १८० दिन उस क्षेत्र में स्थविरकल्पि साधुओं को रहने का [ज्येष्ठ ] उत्कृष्ट कालावग्रह है। विसंवादी का प्रश्न-ग्रजी ! आपने उपर्युक्त शास्त्रों के जो प्रमाण बताए हैं वे तो सब सत्य हैं । परन्तु हम लोग तो श्रीसमवायांगसूत्र के वचन को प्रमाण मानकर सांवत्सरिक प्रतिक्रमण से ७० दिन शेष मानते हैं अतएव अभिवर्द्धित वर्ष में लौकिक टिप्पने के अनुसार आश्विन वा कार्तिक मास की वृद्धि होने पर कालचूलारूप अधिक मास को गिनती में स्वीकार न करके १०० दिन के स्थान में ७० दिन मान लेते हैं और इसी प्रकार श्रावण वा भाद्रपद मास की वृद्धि होने पर ८० दिन के स्थान में ५० दिन कर लेते हैं और श्रीपर्युषणपर्व दूसरे श्रावण में वा प्रथम भाद्रपद में ५० दिने न करके ८० दिने यावत् दूसरे भाद्रपद अधिक मास में करते हैं । इसलिये क्या हमारा यह उक्त मंतव्य शास्त्र-विरूद्ध है ? ... उत्तर-अहो देवानुप्रिय ! बालजीवों को भरमाने के लिये Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034509
Book TitleHarsh Hriday Darpanasya Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharmuni Gani
PublisherBuddhisagarmuni
Publication Year
Total Pages87
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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