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________________ इय सत्तरी गाथा एवं सत्तरि भवति सी तिराते मासे पज्जोसवेत्ता कत्तियपुण्णिमाए पडिक्कमित्ता बितियदिवसे णिग्गयाणं, पंचसत्तरी भद्दवयअमावसाए पज्जोसवेत्ताणं, भदवयबहुलदसमीए असीत्ति, भदवयबहुलपंचमीए पंचासीति, सावणपुण्णिमाए णउत्ति, सावणसुद्धदसमीए पंचणउत्ति, सावणसुद्धपंचमीए सयं, सावणअमावसाए पंचुत्तरंसयं, सावणबहुलदसमीए दसुत्तरंसतं, सावणबहुलपंचमीए पणरसुत्तरंसतं, श्राषाढ़पुरिणमाए विसुत्तरंसतं, कारणे पुण छम्मासिओ जेठोत्ति उक्कोसो उग्गहो भवति । ___ अर्थ-इस पाठ में चूर्णिकार महाराज लिखते हैं कि इय सत्तरी इत्यादि नियुक्ति की गाथा है तदनुमार चंद्रवर्ष में २० रात्रि सहित १ मास अर्थात् ५० दिने भाद्र शुक्ल पंचमी को गृहि ज्ञात (मांवत्सरिक कृत्य विशिष्ट ) श्रीपर्युषण पर्व किये वाद कार्तिक पूर्णिमा को प्रतिक्रमण करके दूसरे दिन विहार करनेवाले साधुओं को ७० दिन उस क्षेत्र में रहने के होते हैं, ७५ दिन भाद्रपद अमावस्या को (गृहिअज्ञात) पर्युषणस्थापना करने वालों को होते हैं, इसी तरह भाद्रपद कृष्ण दशमी को ८० दिन, एवं भाद्रपद कृष्ण पंचमी को ८५ दिन, श्रावण पूर्णिमा को ६० दिन, एवं श्रावण शुक्ल दशमी को चंद्रवर्ष में (गृहिअज्ञात) पर्यषण पर्व की स्थापना करनेवाले साधुओं को कार्तिक पूर्णिमा पर्यत १५ दिन रहने के लिये होते हैं। • एवं चन्द्रवर्ष में श्रावण शुक्ल ५ को गृहिअज्ञात उक्त स्थापना पर्युषण और अभिवलित वर्ष में जैनटिप्पने के अनुसार २० दिने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034509
Book TitleHarsh Hriday Darpanasya Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharmuni Gani
PublisherBuddhisagarmuni
Publication Year
Total Pages87
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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