SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धम-शासन (७) इनके कोई भी दीवानी, माल तथा फौजदारी के केस अदालतों में नहीं जाते सरकार को कितना अवकाश देते हैं और लाभ पहुंचाते हैं। (च) यह संस्था सक्रिय मद्य मांस का अवरोध करके सरकार के शराब बन्दी आन्दोलन में सहायता पहुंचाती है। यह संस्था बालिग और नाबालिग सभी स्त्री पुरुषों को ब्रह्मचर्य की सक्रिय शिक्षा देती है बहुत से नाबालिग भी ब्रह्मचर्य और त्याग की शिक्षा में इतने लवलीन हो जाते हैं कि संसार से छुटकारा पाने को आचार्य देव से पुनः २ दीक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं। आचार्यवर इनकी प्रार्थना को अस्वीकृत कर उनको साधु प्रसङ्ग के नाना प्रकार के कष्टों का अनुभव सुनाते हैं । वे विरागता में इतने आसक्त हो जाते हैं कि अनशन आदिक महान् कष्ट सहकर के अपने माता पिता आदिक अभिभावकों को दीक्षा दिलाने के लिए विवश करते हैं। माता पिता भी जब यह जान लेते हैं कि हमारी सन्तति अब गृही बनने वाली नहीं है आचार्यवर्य से विनय करते हैं दीक्षा के लिए आज्ञा पत्र जो कि विधि विधान सहित है लिखते हैं और पुनः २ प्रार्थना करते हैं कि गुरुवर ! हमारा पुत्र अथवा पुत्री ( माता पिता के अभाव में ) हमारा भाई तथा हमारा पति एवं हमारी पनी दीक्षा के लिए पूर्णतया उद्यत हो गये हैं। हमारी परीक्षा में उत्तीर्ण हो गये हैं। शतशः आवरण होते हुए भी अब ये ढके नहीं रह सकते, इनकी आत्मा निर्मल हो गयी है, इनको घर की गन्ध भी नहीं सुहाती, अस्तु इनको दीक्षा देकर अनुगृहीत कीजिए। आचार्य अन्तर्हित रूप से की हुई अपनी परीक्षा में भी जब इनको उत्तीर्ण समझते हैं तब सहस्रशः मनुष्यों के समारोह में दीक्षित करते। है उसमें भो आचार्य यदि अभिलाषी की शिक्षा में कुछ कमी समझते हैं तो पारमार्थिक शिक्षण संस्था-जो कि सब्रह्मचर्य सविधि शिक्षा-दीक्षार्थियों Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034496
Book TitleDharm Shasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghunandan Sharma
PublisherRaghunandan Sharma
Publication Year
Total Pages16
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy