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________________ चौलुक्य चंद्रिका ] महाराष्ट्र देश औरंगजेबके अधिकारमें चला गया था। और तीन वष तक राज्य करने पश्चात् शिवाजी और संभाजी नामक दो पुत्र और चार स्त्रियोंको छोड़ स्वर्गवासी हुआ। जिस प्रकार राजारामके पिता छत्रपति महाराजा शिवाजीके मरने पश्चात् उसकी माताने उसे गद्दीपर बैठानेके लिये खटपट की थी। उसी प्रकार उसके पुत्रोंकी माताओंने अपने अपने पुत्रको गद्दीपर बैठानेके लिये खटपट शुरू की। परन्तु अन्तमें शिवाजी गद्दीपर बैठा। किन्तु वास्तवमें उसकी माता राज्य करती थी। १७५६ से १७६३ पर्यन्त शिवाजी राजा रहा। इसी वर्ष औरंगजेबकी मृत्यु हुई और शाहु बंदीसे छूटकर स्वदेश आया । अपने हितैषी सरदारोंकों एकत्रित कर राज्य मांगा, परन्तु ताराबाईने राज्य सौंपनेसे इन्कार किया। तब शाहुने साम दाम आदि द्वारा ताराबाईका पश्न निर्बल बना सताराको अधिकृत कर अपने राजा होनेकी घोषणा विक्रम १७६४ में की। इस घटनाके चार वर्ष बाद विक्रम १७६८ में राजारामके पुत्र शिवाजीको मृत्यु हुई। और ताराबाई कोल्हापुर चली गई। यहां संभाजी उसके हाथसे राज्य छीन कोल्हापुरका महाराजा बना। और मरहठा राज्य सतारा और कोल्हापुर नामक दो भागोंमें बट गया। आगेकी घटनाओंका दिग्दर्शन करानेके पूर्व महाराष्ट्र वंशकी वंशावली उधृत करते हैं। महाराष्ट्र वंशावली सज्जनसिंह सयाजी भोसाजी मालोजी शाहाजी संभाजी शिवाजी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034491
Book TitleChaulukya Chandrika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandswami Shreevastavya
PublisherVidyanandswami Shreevastavya
Publication Year1937
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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