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________________ [ प्राक्कथन २३ पश्चात् उसका पुत्र ध्रुव द्वितीय गद्दी पर बैठा । इसके राज्यारोहण के समय उसके संम्बधिने उपद्रव मचाया किन्तु उनके विद्रोहको इसने दमन किया । इस घटनाका उल्लेख ध्रुवके नगुमरा और बरौदावाले दोनों लेखोंमें है । पुनश्च ध्रुवके बगुमरावाले लेक्से प्रगट होता है कि उसके राज्य पर मेहरराजने आक्रमण किया था । परन्तु इसने अपने गोविंदराज नामक बन्धुभ्राताकी सहायता से उक्त मेहरराजको पराभूत किया । ध्रुवके राज्यकालमेंही संभवतः गुजरातके राष्ट्रकूटों के से वातापिके दक्षिणका प्रदेश निकल गया प्रतीत होता है । क्योंकि बगुमरा वाले लेखमें चार वर्ष उत्तरकालीन बरोदावाले लेखमें स्पष्टतया ध्रुवके राज्यको नर्मदा ( भृगुकच्छ ) और मही नदी मध्य परिमित होनेका उल्लेख पाते हैं। संभवतः श्रीवल्लभ श्रमोघ वर्ष उक्त प्रदेशको प्रधान शाखा अधिकारमें मिला लिया था जिसको ध्रुवके क्वा और उत्तराधिकारी अकाल वर्ष : पुनः प्राप्त किया। जिसका उल्लेख उसके बगुमरा वाले शक ८१० के लेखमें पाया जाता है। हाथ द्वितीयक मृत्यु कब हुई और इसके भाई गोविंदका क्या हुआ इसका कुछभी परिचय नहीं मिलता । संभवतः गोविंदकी मृत्यु भुक्के पूर्व हुई थी । वरना अकालवर्ष उसका चचा उसका उत्तराधिकारी नहोता । अकालवर्षके वगुमरा वाले शक ८१० के लेखों में उसे स्पष्टतया कर्कका पौत्र और दन्तिवर्माका पुत्र लिखा है। अकाल वर्षके पिता दन्तिवर्माको फर्क के शक ७३४ वाले शासन पत्र कथित दूतक राजपुत्र दन्तिवर्मा मान कर पाश्चात्य विद्वानोंने उसे कर्कका ज्येष्ठ पुत्र माना है और शंका की है कि कदाचित बगुमराके उक्त लेखकी वंशावली में कुछ भूल है । क्योंकि दन्तिवर्मा कथित शक ७३४ लेखका दूतक होने के कारण वह अवश्य उस समय वयस्क था | अतः उसके पुत्र अकाल वर्षका लगभग ७६ पर्यन्त जीवित रहना असंभव है । इन विद्वानोंकी इस उद्भाविता शंकाके समाधान हमारा विनम्र निवेदन है कि आद्योपान्त भूल कर रहे हैं। इनकी भूल करनेवाला कहनेका कारण निम्न है । १- किसी शासन पत्रमें " राजपुत्र शका प्रयोग इतके नामके साथ — दूतकको शासन कर्ता राजाका पुत्र नहीं सिद्ध कर सकता चाहे शासन कर्ताको दूतकके नामक शशी पुत्रमी क्यों न हो । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ," www.umaragyanbhandar.com
SR No.034491
Book TitleChaulukya Chandrika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandswami Shreevastavya
PublisherVidyanandswami Shreevastavya
Publication Year1937
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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