SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 36
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौलुक्य चंद्रिका] मार्गमें भरूच जिलाके सरभौन नामक स्थानमें वर्षा ऋतु की ( इ. ए. ६. ६४) इसके अनन्तर गोविंद दक्षिण चला गया और जाते समय अपने छोटे भाई इन्द्रको लाट और गुजरातका सामन्तराज बनाता गया । अतः लाट और गुजरातका राष्ट्रकूट वंशी सर्व प्रथम राजा इन्द्र हुआ । इंद्र के वंशजोंने लाट और गुजरात देश पर पांच वंशश्रेणी पर्यंत राज्य किया। इनके लाट गुजरात राज्यकाल की अवधि शक ७३० से शक ८१० पर्यंत ८० वर्ष है । इस अवधिमें इस वंशके राजाओं की संख्या ८ है। इनके विविध शासन पत्र और ऐतिहासिक लेखके पयांलोचनसे गुजरात के राष्ट्रकूटोंकी वंशावली निम्न प्रकारसे होती है। -: वंशावली : इंद्रराज कराज गोविंदराज ध्रुवराज दंतिवर्मा कृष्ण (अकाल वर्ष) शुमतुङ्ग (अकाल वर्ष) ध्रुवराज गुजरात के राष्ट्रकूटोंके अद्यावधि ८ शासन पत्र प्राप्त हुए हैं । जिनमें कर्कके तीन लेख हैं। प्रथम बरोदासे प्राप्त शक ७३४ का, द्वितीय नवसारीसे प्राप्त शक ७३८ का और सूरत से प्राप्त शक ७४३ का है। कर्क के भाई और उत्तराधिकारी गोविंदका कावीसे प्राप्त शक ७४९ का एक लेख, ध्रुवका बरोदासे प्राप्त शक ७५३ का एक लेख और ध्रुव राजके पुत्र और उत्तराधिकारी अकाल वर्ष शुमतुङ्गके पुत्र ध्रुव द्वितीयका प्रथम लेख बगुमरासे प्राप्त शक ७८६ का और द्वितीय लेख बरोदासे प्राप्त शक ७६३, और इस वंशका अंतिम लेख कके द्वितीय पुत्र दंतिवर्माके पुत्र अकालवर्ष कृष्ण का बगुमरासे प्राप्त शक ८१० का है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034491
Book TitleChaulukya Chandrika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandswami Shreevastavya
PublisherVidyanandswami Shreevastavya
Publication Year1937
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy