SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 226
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७ चौलुक्य चंद्रिका ] शूलगाल वनवासी द्वादश सहस्त्र - इस प्रदेशमें मुम्बई प्रान्त के उत्तर कनाडा और मसूर राज्य के सिमोगा जिल्ला का अधिकांश भूभाग सामिल था । इसका एक भाग नागर खण्ड के नाम से प्रख्यात था । वनवासी की राजधानी बलिगावे, जिसका नामान्तर वलिगाव और वलिग्राम आदि है, थी । ८ ' सन्तालिग सहस्र - मयसूर राज्य का सिमोगा और कुदूर जिला का भूभाग । यह प्रदेश वनवासी प्रदेश से दक्षिण में अवस्थित था । ६ - पुलगिरि - धारवार जिला के अन्तर्गत है । इसका नामान्तर लक्ष्मेश्वर है । और यह पुलगिरि त के नाम से प्रसिद्ध था । १० - रेवु ११ १२ - ष. सहस्र द्वय १३ बलवीड माले - १५ १०६ १४ नोलम्ब वाडी - यह मसूर राज्य के सिमोगा जिलासे पूर्व में अवस्थित था । और इसमें दूर्ग जिला का प्रायः समस्त भूभाग था । यह त्रयशत सहस्र नामसे प्रसिद्ध था । १५ - केशुबाल १६ -- वासववली (सहस्र ) १७ ताडवाडी विजापुर जिला के अन्तर्गत और इसमे बादामी का अधिवंश भाग संमिलित था । वेलवोला • इसमे धारवार और बेलगांव जिलाओ का अधिकांश भूभाग संमिलित था । यह वेलवोला त्रशत नामसे प्रसिद्ध था । इससे प्रकट होता है कि जयसिंह के अधिकार में एक बहुत बडा प्रदेश था। जिसमें बम्बई प्रदेशके धारवार- विजापुर, बेलगांव और उत्तर कनाडा एवं मद्रास प्रान्तके बेलारी और मयसूर राज्य का उत्तर पूर्वीय समस्त प्रदेश था । हमारी समझमें प्रशस्ति का सांगोपांग विवेचन हो चुका और यदि कोई वात शेष है तो वह यह है कि जयसिह के अधिकृत कुछ प्रदेशों के वर्तमान नामादि और स्थान का परिचय नहीं प्राप्त कर सके । अन्यथा कोई विचारनीय बात शेष नहीं रही है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034491
Book TitleChaulukya Chandrika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandswami Shreevastavya
PublisherVidyanandswami Shreevastavya
Publication Year1937
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy