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________________ [ श्राक्कथन नामोल्लेख है । उसके पर्यालोचनसे प्रगट होता है कि विक्रम संवत ४२७ से ४४२ पर्यंत भी गुर्जर और लाट नामका प्रचार नहीं हुआ था । लाट नन्दिपुर के गुर्जर | गुप्तों के बाद सौराष्ट्र देशमे मैत्रकोंका अभ्युदय होता है। मैत्रक वंशका संस्थापक सेनापति भट्टारक है। इसने अपने वंशका राज्य सौराष्ट्र देशमें विक्रम संवत १६६ तदनुसार इस्वी सन ५०६ में स्थापित किया था। इस वंशका राज्य काल विक्रम से ५६६ तदनुसार इस्वी ५०९ से ७६६ पर्यन्त २५७ वर्ष है । इस अवधि में इस वंशके १५ राजा हुए हैं। इनके राज्य कालकी समकालीनता में ही गुर्जर जातिका अभ्युदय पुराकालीन चानर्त प्रदेशमें हुआ था । क्योंकि दक्षिण गुजरात या लाट देशके नन्दिपुरं नामक स्थानमें एक गुर्जर वंशको राज्य करते पाते हैं । नन्दिपुरके गुर्जरो के साथ बल्लभके मैत्रकोंको संधि विग्रह और वैवाहिक संबंध सूत्रमें ओतप्रोत पाते हैं। नंदिपूरके गुर्जरोंका अभ्युदयकाल विक्रम संवत ६३७ और ६४४ के मध्य तदनुसार इस्वी सन ५८०-५८७ है । और इनका अन्त लगभग विक्रम संवत ११ शिदनुसार a सन ७३४ है । इनका राज्य काल इस प्रकार, १५० वर्ष मान होता है। वातापिके। चौलुक्यराज पुलकेशी द्वितीय के एहोलग्रामसे प्राप्त शक ५५६ तदनुसार विक्रम संवत् ६९१ वाले, शिलालेख श्लोक २३ में सतया गुर्जर जातिका गुर्जर जाति रूपसे उल्लेख किया गया है। अतः निश्चय हुआ कि विक्रम संवत ६३७ तदनुसार इस्वी सन ५८० 'के पूर्वही पुराकालीन' आनर्त प्रदेश गुर्जर जातिका अभ्युदय हो चुकाथा और वह एक प्रतिष्ठित जातिके रूपमें मानी जाती, अभी। एबं इन गुर्जरोंके संयोगसे श्रानर्त देशका नाम परिवर्तित होकर गुर्जर देश, गुर्जराष्ट्र तथा गुर्जर मण्डल के नामसे प्रख्यात हो चुका था । अब विचारना है कि क्या नैन्दिपुरके गुर्जरो संयोगसे आनर्त देशका नाम परिवर्तन हुआ था ? इन नदिपुरवाले गुर्जरोंके शासन पर दृष्टिपात करनेसे प्रकट होता है कि वे आदिसे अन्त पर्यन्त किसी न किसी रोजाके आधीन है। अतः इनके संयोगसे आनर्तका नाम गुर्जर रूपमें नहीं बदल सकता और न गुर्जर ओति एक प्रतिष्ठित जातिही मानी जा सकती थी। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034491
Book TitleChaulukya Chandrika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandswami Shreevastavya
PublisherVidyanandswami Shreevastavya
Publication Year1937
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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