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________________ [ लाट नवसारिका खण्ड जनाश्रय पुलकेशीके शासनपत्र विवेचन प्रस्तुत ताम्रपत्र नवसारी ग्रामसे प्राप्त हुआ था । इसके पत्रकोंकी संख्या दो है । प्रत्येक पत्रकमें लेख पंक्तियां २५ हैं। पत्रकोंका आकार प्रकार ११२-६।१।२ इंच है। प्रथम पत्रकके नीचे और ऊपरके दोनों भागोंमें ३.१।२ दोनों तर्फ छोड़कर दो दो छिद्र हैं। इससे प्रकट होता है कि इन छिद्रों द्वारा कड़ीके संयोगसे वे जोड़े गये थे। परन्तु इनको जोड़नेवाली कड़िया उपलब्ध नहीं हैं । अतः दोनों पत्रे पृथक हैं । अक्षर यद्यपि कम खोदे गये हैं तथापि स्पष्ट हैं । लिपि नवसारीसे प्राप्त शिलादित्यके शासनपत्रके समान और भाषा संस्कृत हैं। इस लेखके सम्बन्धमें वियेनाके ओरियण्टल कोन्फरेन्समें एक निबन्ध पढ़ा गया था और उक्त कोन्फरेन्सकी रिपोर्ट पृष्ट २३० में प्रसिद्ध की गई है । एवं इस लेखका कुछ अंश बाम्बे गेझेटिअरके गुजरात नामक वोल्युम एकके पार्ट एकमें उध्दृत किया गया है । मूल लेख सम्प्रति प्रिन्स ऑफ वेल्स म्युजियममें सुरक्षित है । लेखका मंगलाचरण और अन्तिम शापात्मक अंश पद्यात्मक और शेष भाग गद्यात्मक है । इसका लेखक पंच महाशब्द प्राप्त महासन्धि विग्रहिक सामन्त श्री वप (जिसके पिताका नाम हरगण ) है। लेखका प्रारम्भ स्वस्ति श्रीसे होता है । और सर्व प्रथम चौलुक्योंके वुलदेव वाराहकी स्तुति की गई है । पश्चात उनका वंशगत विरुद देनेके अनन्तर शासनकर्ताकी वंशावली निम्न प्रकारसे दी गई है। वंशावली कीर्तिवर्मा पुलकेशी वल्लभ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034491
Book TitleChaulukya Chandrika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandswami Shreevastavya
PublisherVidyanandswami Shreevastavya
Publication Year1937
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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