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________________ [ ११ ] वायाङ्गजी में पीकाड़ी के 90 दिन रखना कहा है ऐसा लिखके तीनों महाशयोंने पर्युषणाके पीछे अवश्य ही 90 दिन रखनेका दिखाकर अधिक मा की गिनती करके पर्युषणा करनेवालों को कार्त्तिक तक १०० दिन होनेसे श्रीसम - वायाङ्गजी सूत्रका पाठके बाधक ठहराये [ इस न्यायानुसार तो तीनों महाशय तथा तीनों महाशयों के पक्षवाले सबी महाशय भी श्रीसमवायाङ्गजी सूत्रके बाधक ठहर जाते हैं क्योंकि दो आश्विन होनेसे भी चौठासी कृत्य कार्त्तिक मास में करने ते पर्युषणाके पीछाड़ी १०० दिन होते हैं तथापि अब आप निदूषण बननेके लिये फिर लिखते हैं कि कार्त्तिक मास कार्त्तिक शुदीमें करना चाहिये जिसमें दो आश्विनमात होवे तो भी १०० दिन हुआ ऐसा नही समझना किन्तु अधिकमासको गिनती में नही लेनेसे 90 दिनही हुआ समझना और दो श्रावण होवे तो भी भाद्र पदमें पर्युषणा करनेसे ८० दिन हुआ ऐसा नही समझना किन्तु अधिकमासको गिनती में नही लेनेसे ५० दिनही हुआ समझना, दो श्रावण हो तथा दो आश्विन हो तो भी गिनती में नही लेनेसे श्रीसमवायाङ्गजी सूत्रके वचनको बाधा भी नही आवेगी और शास्त्रोंके कहे पर्युषणा के पहिले ५० दिन तथा पोछाड़ी 90 दिन यह दोनुं बात रह जाती है ] इस तरहका तीनों महाशयों का मुख्य अभिप्राय है ॥ इस पर मेरेको बड़ा खेद उत्पन्न होता है कि तीनों महाशयोंने कदाग्रहके जोरसे अपनी हठवादकी मिथ्या बातको स्थापनेके लिये सूत्रकार महाराज के विरुद्धार्थमें Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034484
Book TitleBruhat Paryushana Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages556
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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