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________________ [ २ ] विशामुतस्कन्ध सूत्रका अष्टम अध्ययनके ) चर्णिके पृष्ठ ३१ से २.तक तत्पाठः.... आसाढ़चातम्मासियं पडिक्कमंति, पंचहिं दिवसेहिं पज्जो सवणा कप्पं कढ्ढेति, सावण बहुल पंचमीए पज्जोसवेति णच वाहिद्वितेहिं ण गहिता णित्थरादीणि, ताहे कथं कहता चेव गिरहंति मलयादीणि एवं आसाढ़पुस्लिमाए ठिता, जाव मग्गसिरबहुलस्स दसमी, तावएगंमि खेत्ते अच्छज्जा, तिनिवा दस्सराता, एवंतिनिपुण दस राता, धिस्कलादीहि कारणेहिं॥ एत्यठ गाथा पत्थंति पज्जोसविते, सवीसति राय मासस्स आरात्तो जति गिहत्या पुच्छंति, तुभ्भे अज्जो बाता रत्तं ठिता, अहवा ण ठिता एवं, पुच्छितेहिं, जति अहिवढ्ढिय संवच्छरे, जत्थ अहिमासतो पडिति तो, आसाटपुसिमाओ वीसति राते गते अमति, ठितामोति आरतो ण कथयति वोत्थं ठिता मोति, अथ इतरे तिन्निचंद संवच्छरा तेसु सवीसति राते मासे गते नमति, ठितामोति आरतो ण कथयति वोतुंठिता मोति, किं कारणं असिवादि, गाथा कयाइ, असिवादीणि उप्प उजेज्जा जेहिं. निग्गमण होज्जा ताहेति, गिहत्था मज्ज, ण किंचि एते जाणंति, मुसावात वाउलावेंति, जेण ठितामोति भणित्ता, निग्गत्ता, अहवा वासं ण सुट्ठ आरद्ध, तेण लोगो भीता धणंजंपितुं,ठितो साहू हिं अणितो ठियामोति जाणति, एते वरिसास्सति तो सुयामो धम विक्किणामो, अधि करणं घराणियस्थप्पंति, हलादीणय संवप्पं करेंति, जम्हा एते दोसा, तम्हा वीसती राते आगते, सवीसति राते वा मासे आगते, ण कथंति वोतु ठितामोति॥ एत्थउ गाथा॥ आसाढ़पुसिमाए ठिताणं जतितणडगलादीणि गहियाणि,पज्जोसवणा कप्पोय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034484
Book TitleBruhat Paryushana Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages556
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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