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________________ दिनसे बात पर्युषणा करे सो १००दिन यावत् कार्तिकपूर्णिमा तक उसी क्षेत्रमें ठहरे ऐसा श्रीतपगच्छके श्रीक्षेमकीर्ति सूरिजी रूत श्रीवृहत्कल्पवृत्तिका पाठमें विस्तारपूर्वक कहा है ऐसे ही अनेक शास्त्रोंमें कहा है जिसके पाठ भी श्रीवहत्कल्प वृत्यादिकके कितने ही पहिले लिख आया हुं और आगे भी लिख दिखावंगा और खास तीनो महाशयोंके लिखे पाठसे भी अभिवद्धितमें वीश दिने प्रावणशुक्लपञ्चमीको पर्युषणा करने में आतेथे इसका विशेष खुलासाके साथ आगे विस्तार पूर्वक लिखुंगा जिससे वहाँ प्राचीनकालका तथा वर्तमानिक कालका भच्छी तरहसे निर्णय हो जावेगा-. और आगे इन तीनो महाशयोंने श्रीपर्युषणा कल्पपूर्णिका तथा श्रीनिशीथचूर्णिका पाठ लिखके मासवृद्धि वर्तमानिक दो श्रावण होते भी माद्रव मासमें ही पर्युषणा करने का दिखाया है इस पर मेरा इतना ही कहना है कि इन तीनो महाशयोंने (श्रीपर्युषणा कल्पपूर्णिमें और श्रीनिशीथपूर्णिमें प्रन्यकार महाराजने पर्युषणा सम्बन्धी विस्तारपूर्वक पाठ लिखाया जिसके) आगे और पीछे का संपूर्ण सम्बन्धका पाठको कोड़के ग्रन्थकार महाराजके विरुद्धार्थ में उत्सूत्रभाषणरूप माया इत्तिसे अधूरा घोड़ासा पाठ लिखके भोले जीवोंको शास्त्र के पाठ लिख दिखाये और अपनी विद्वत्ताकी बात दृष्टिरागियों में बनाई हैं इस लिये इस जगह भव्य जीवोंको निःसन्देह होनेसे सत्य बातपर शुद्धश्रद्धा हो करके सत्यबात ग्रहण करे इस लिये दोनो चूर्णिकार पूर्वधर महाराज कत संपूर्ण पर्युषणा सम्बन्धी पाठ यहाँ लिख दिखाता हुं भीपूर्वधर पूर्वाचार्यजी फत श्रीपर्युषणा कल्प Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034484
Book TitleBruhat Paryushana Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages556
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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