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________________ [ ३० ] रात्री प्रमाणनो ते ऋतुमास जाणवी। चोथो, आदित्य जे सूर्य तेहy अयन एकोने ज्यासी दिवसनु होय । तेनो छट्ठोभाग ते आदित्य मास कहिये। पांचमो अभिवर्द्धित ते तेर चंद्रमासे थाय । बार चंद्रमासे संवत्सर जांणवो परन्तु जेवारे एक वधे तेवारे तेने अभिवद्धित मास कहिये एनज प्रमाण विशेष देखाड़े छे । मूल..-अहरत्तसित्तवीस तिरुत्त सत्तद्वि भाग नस्कतो॥ चंदोअ उणत्तीस बसद्विभागाय बत्तीसं ॥ ९०५॥ __अर्थः-प्ततावीत अहोरात्री अने एक अहोरात्रीना शड़सठ भाग करिये तेवा एकवीस भागे अधिक एक नक्षत्र मासथाय। अने मासना उगणत्रीस अहोरात्री तेना उपर एक अहोरात्रिना बासठभाग करिये एवा बत्रीस भागे अधिक एक चंद्रमास थाय। मूलः-उउमासो तीसदियो, आइच्योवि तीस होइ अच। अभिवडिओअ मासो धउवीस सरण छेएण ॥९०६॥ अर्थः-ऋतुमास ते संपूर्ण त्रीरूदिवस प्रमाण नो जाणवी तथा आदित्यमास ते त्रीसदिवस अने उपर एक दिवसना साठिया सीसभाग करिये तेटला प्रमाणनो जांणवो। अने अभिवर्जितमास ते चउवीसे अधिक एकशतछेद एटले भाग तेज देखाड़े छे ॥ ९०६ ॥ मूलः–भागाणिगवीससयं, तीसाऐगाहिया दिणाणंव। एएजह निप्पत्ति, लहंति समयाऊतहनेयं ॥ ९ ॥ अर्थः-ते पूर्वोक्त एकसोने चोवीसभाग एक अहोरात्रना करिये तेवा एकसो एकवीसभाग अने एकदिवटे अधिक ग्रीस एटले एकत्रीस दिवप्त अर्थात् एकत्रीस दिवतने एक अहोरात्रीना एकसो चोवीसभाग मांहेला Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034484
Book TitleBruhat Paryushana Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages556
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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