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________________ दशमः १०] भाषाटीकासमेतम् । (७९) पतिकीरतिका परम सुख पाती है सौभाग्य बढाती है बलवती होती है यदि हाथमें स्वस्तिकभी हो तो पुत्रवती होवै॥ ५५॥ करतले यदि पद्ममिलापतेः प्रियतमा परमागरिमावृता । नृपमपत्यमलं जनयेदरं बलवतामपि मानविमर्दकम् ॥५६॥ यदि स्त्रीके हाथमें कमलका चिह्न हो तो परम बडप्पनसे युक्त राजरानी हो तथा संतानोंमें निश्चय राजाकोही उत्पन्न करे अर्थात् इसका पुत्रभी राजा होवै जो बलसे बलवानोंके बलकोभी मर्दन करनेवाला हो ॥५६॥ यदा प्रदक्षिणाकारो नन्द्यावर्तः प्रजायते । चक्रवर्तिनृपस्त्री सा यस्याः पाणितलेऽमले ॥ ५७ ॥ __ यदि स्त्रीके निर्मल हाथमें प्रदक्षिणाकार घुमाहुआ नंद्यावर्त चिह्न हो तो वह स्त्रीके चक्रवर्ती राजाकी रानी होवै ॥ ५७॥ आतपत्रं च कमठः शंखोऽपि यदि वा भवेत्। नृपमाता गुणोपेता भव्याकारा पतिव्रता ॥१८॥ जो स्त्रीके हाथमें छत्र, कमल कछुआ, अथवा शंखकासा चिह्न हो तो वह गुणवती राजमाता तथा बडे यद्वा सुंदर आकारकी और पतिव्रता होवै ॥२८॥ यस्या वामकरे रेखा तुलामालोपमा भवेत् । वैश्यवामा रमापूर्णा नानालङ्कारमाण्डिता॥१९॥ जिसके बाँयें हाथमें ( तराजू ) तखडी अथवा मालाके समान रेखा हो तो उसका पति यद्वा वही व्यापारी होवे अथवा व्यापारी वा वैश्यकी स्त्री होवै तथा धनसे परिपूर्ण रहे, अनेक भूषण अलंकारोंसे सुशोभित रहे ॥१९॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034482
Book TitleBhavkutuhalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJivnath Shambhunath Maithil
PublisherGangavishnu Shreekrushnadas
Publication Year1931
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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