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________________ सप्तमः ७ ] भाषाटीकासमेतम् । ( ३५ ) मेषका हो तो वह मनुष्यबालक राजाओंके मुकुटका श्रेष्ठ मणि ऐसा श्रेष्ठ राजा होवे ॥ १६॥ सामान्यराजयोगः | दिवानाथः सिंहे गवि हिमकरो मेषभवने महीजः कन्यायाममृतकरसूनुः सुरगुरुः ॥ भवेच्चापे कुम्भे दिनमणिसुतस्तौलिनि कविजनुः काले यस्य प्रभवति नरोऽसौ क्षितिपतिः १७॥ जिसके जन्मसमय में सूर्य सिंहका चंद्रमा वृषका, मंगल मेषका, बुध कन्याका, बृहस्पति धनका, शनि कुंभका और शुक्र तुलाका हो तो वह राजा होवे ॥ १७॥ बली पुण्यस्वामी दशमभवनाधीशभवने तपःस्वाम्यागारे भवति दशमेशोऽपि भविनाम् ॥ तदा गर्जन्तावलनिकरघण्टाघनरवैदिगन्तं वित्रस्तो विजयगमने यात्यरिगणः ॥ १८ ॥ जिस मनुष्य के जन्म में नवमेश बलवान् होकर दशम वा दशमेशके राशिमें तथा दशमेश नवम वा नवमेश के राशि में हो तो वह ऐसा प्रतापी राजा हो कि, जिसके शत्रुविजयार्थ गमन ( शत्रुपर चढाई ) में गर्जन करतेहुये हाथियोंके घंटाओंके घने शब्दसे डर कर शत्रुसमूह दिगंतों में भाग जावै ॥ १८ ॥ शत्रुत्रासकरयोगः । यदा पुण्यस्वामी दशमभवने पुण्यभवने बली कर्माधीशो भवति भविनामेव जनने ॥ समुद्रान्तं कीर्तिर्विजयगमने वैरि पटलीधनुर्ज्याटङ्कारैर्भजति चकिता भीतिपदवीम् ॥ १९ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034482
Book TitleBhavkutuhalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJivnath Shambhunath Maithil
PublisherGangavishnu Shreekrushnadas
Publication Year1931
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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