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________________ [ ४९३ ] सहित पांच कल्याणक हस्तोत्तरा नक्षत्र में कहे हैं वैसेही जी - श्री आदिनाथ स्वामीका राज्याभिषेक कल्याणकरब पने में होता तो श्रीस्थानांग जीसूत्रमें भी श्रीगणधर महाराजको राज्याभिषेक सहित श्रीमादिनाथ स्वामीके भी पांच कल्याणक उत्तराषाढ़ा नक्षत्रमें होनेका दिखाना पड़ता सो तो दिखाया नहीं है और गर्भापहारको तो खुलासापूर्वक दो वैर दिखाया है इसलिये भी राज्याभिषेकके पाठका तात्पयर्थको समझे बिना बालजीवोंके आगे राज्याभिषेकका पाठ दिखाकरके अनेक शास्त्रोंमें प्रगटपने गर्भापहारके कल्याणकको कथन किया होते भी उसीका निषेधकरना सो हठवादकी अज्ञानता के कारण उत्सूत्र भाषणके विपाक सो भवांतर में भोगे बिना नहीं छुट सकेंगे इसको भी मिष्पक्षपाती पाठकगण स्वयं विचार लेना और अब सातवी वैरमें तत्वाभिलाषी सत्यग्राही सज्जन पुरुषों से मेरा यही कहना है कि- विनय विजयजी ने (पंचरान्तरा साढ़े इत्यत्र नक्षत्र साम्यत् राज्याभिषेको मध्येगणितः परं कल्याणकानितु अभिइ छठे इत्यनेन सहपंचैव, तथात्रापि पंचहत्युत्तरे इत्यत्र नक्षत्र साम्यात् गर्भापहारो मध्येगणितः परं कल्याणका नितु साइणा परि निघुडे इत्यनेन सहपंचैव ) इन अक्षरोंको लिखके इसका मतलब ऐसे लाये हैं कि- 'पंचतत्तरा साढ़े इस शब्द से यहां नक्षत्र के सामान्यता से राज्याभिषेकको अन्दर गिना है परंतु 'अभिइ छठे' इस शब्दसे श्रीमदिनाथ स्वामीके कल्याणक तो पांचही कहने तैसेही 'पंचइत्युत्तरे' इस शब्द से यहां भी नक्षत्र सामान्यतासे गर्भापहार को अन्दर गिना है परंतु 'साइणा परिनिब्बु डे' इस शब्द से श्री Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034474
Book TitleAth Shatkalyanak Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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