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________________ [ ख ] (ग) किसीके अज्ञान या जरूरतका लाभ उठानेके लिए ज्यादा कीमत नहीं मांगूंगा या तौल-नापमें कसर नहीं करूँगा। (घ) भविष्यमें आकस्मिक कारणोंसे भाव बढ़ जायेंगे, इस आशयसे मैं चीजें बेचनेसे इन्कार नहीं करूंगा। पर अगर कोई अनुचित लाभ उठानेकी दृष्टिसे मेरा माल खरीदना चाहेंगे तो मैं उन्हें माल नहीं दूंगा। इस दशामें मेरा द्वार खरीददारोंको फुटकर विक्रीसे तथा एक नियत मात्रामें ही माल बेचनेका अधिकार में रखूगा। (च) मैं अपने मालकी बिक्री-कीमत सही-सही खुले आम बताऊँगा। (छ) मैं अपने मालमें किसी तरहकी मिलावट नहीं करूँगा और जानकारी होनेपर ऐसी चीज अपनी दुकानमें नहीं रखूगा। (२) खरीददारके नाते (क) जिस चीजकी बाजार में कमी हो, उसे जरूरतसे ज्यादा नहीं खरीदूंगा , और कृत्रिम कमी पैदा करनेवाली प्रवृत्तियों में सहयोग नहीं दूंगा। (ख) जिन चीजोंके भाव नियन्त्रित किये गये हों, वे नियन्त्रित भावसे ही खरीदनेकी मेरी कोशिश रहेगी, पर वे वैसे न मिले तो मैं यथासम्भव उनके बिना ही निभानेकी कोशिश करूँगा। (ग) सुविधा, आराम या सामाजिक कार्योंके लिए कानूनको टालकर या गुप्त रीतिसे चीज नहीं खरीदूंगा। .. (घ) मैं किसीको रिश्वत नहीं दूंगा और दूसरोंकी अपेक्षा खुदके लिए बेजा फायदा उठानेके आशयसे न किसीसे सिफारिश-पत्र ही लूंगा। (३) सरकारी कर्मचारी या सार्वजनिक कार्यकर्ताके नाते मैं किसीसे रिश्वत या बख्शिश नहीं लूंगा और न अपने कर्तव्य पालनमें अधिकारी या बड़े आदमियोंके प्रमावसे च्युत ही होऊँगा। मैं ज्यादासे ज्यादा लोगोंको शुद्ध व्यवहारी बनानेकी कोशिस करूँगा। अब आप अणुव्रत-संघकी नियमावलीपर ध्यान दें। मिन्न स्थानोंसे संचालित भिन्न प्रवृत्तियोंमें कितना अनूठा सामंजस्य है। तभी तो कहना पड़ता है, ‘सह सयाने एक मत' । .. आचार्यबरके वातावरणमें जबसे ही एक नैतिक आन्दोलनकी लहर उठी, तमीसे उस वातावरणमें घुल-मिलकर रहनेका मुझे अवसर मिला है। देहलीके प्रथम वार्षिक अधिवेशनके अनन्तर ही अणुव्रतॊको विस्तृत व्याख्या लिख देनेका आदेश आचार्यवर द्वारा मिला। उसी निर्देशका पालन ही यह 'अणुव्रत दृष्टि' आपके सामने है, जिसमें अथ से इति तक मेरे शब्दों में आचार्यवरके विचार हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034471
Book TitleAnuvrat Drushti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagraj Muni
PublisherAnuvrati Samiti
Publication Year1954
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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