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________________ अणुव्रत सदाचार और शाकाहार 69 अणुव्रत के कल्याणकारी पथ पर बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। सभी मुनि, साधु माताजी आदि की पिच्छी लेने व प्रदान करने का सौभाग्य अणुव्रत धारण करने वाले सौभाग्यशाली श्रावकों को मिला। अंकलीकर पुरुस्कारों का वितरण तपस्वी सम्राट सन्मतिसागरजी के मार्गदर्शन में गठित आचार्य आदिसागर अन्तर्राष्ट्रीय मंच द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में अतुलनीय कार्य करने वालों को हर वर्ष सम्मान दिया जाता है। इस वर्ष के पुरुस्कार गुरुदेव आचार्य सुनीलसागरजी महाराज के सानिध्य में मुख्यमंत्री के हाथों प्रदान किए गए। जैन साहित्य में उत्कृष्ट लेखन के लिए आचार्य आदिसागर अंकलीकर विद्वत् पुरस्कार अहमदाबाद के पं. मधुसूदन शाह को दिया गया। समाज सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु आचार्य महावीरकीर्ति समाजसेवा राजनयिक पुरस्कार गांधीनगर के पूर्व मेयर श्री गौतमभाई शाह को दिया गया। जिसके पुण्यार्जक श्री सुमेरमल अजयकुमार चूड़ीवाल थे। श्रीमती सी.पी. कुसमा प्रकाश बाहुबली प्राकृत विद्यापीठ को प्राकृत भाषा में अप्रतिम योगदान करने के लिए आचार्य श्री विमलसागर शोध एवं अनुसंधान पुरुस्कार प्रदान किया गया। इसकी पुण्यार्जक श्रीमती सज्जनदेवी ज्ञानचंद मिण्डा थीं जिनकी एकदिवस पूर्व क्षुल्लक दीक्षा हुई है। पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा प्रदान करने के लिए तपस्वी सम्राट सन्मतिसागर पुरस्कार जिनेन्दु एवं यंगलीडर समाचार पत्र के संपादक एवं संचालक श्रीमती नीलम जैन एवं श्री धर्मेन्द्र जैन अहम्दाबाद को प्रदान किया गया जिसके पुण्यर्जक श्री कमलकुमार शांतिलाल जी थे। गणिनी आर्यिका श्री विजयमती त्यागी सेवा पुरस्कार पं. वाणसेन जैन ऋषभदेव को दिया गया। जिसके पुण्यार्जक रिखभचंद अजितकुमार कासलीवाल जी हैं। 34 हर व्यक्ति के जीवन का प्रथम शिक्षक है माँ आचार्य श्री सुनीलसागरजी महाराज की राष्ट्र व्यापी देशना वैश्विक अहिंसा, जीवदया व करुणा की चिंता को देखते हुए उनके सार्वत्रिक योगदान के लिए उन्हें माननीय मुख्यमंत्री श्री विजयभाई रूपाणी ने राष्ट्र गौरव का सन्मान प्रदान किया। दिगंबर संत तो समता की जीती जागती मिशाल हैं उन पर सम्मान, आलोचना, मित्रता, शत्रुता, राग-द्वेष आदि का कोई प्रभाव नहीं होता। उनके सरल स्वाभाव के लिए कहा जाता है अरि, मित्र, महल, मसान, कंचन, कांच निंदन थुति करन। अरघावतारन असि प्रहारन, में सदा समता धरन।
SR No.034459
Book TitleAnuvrat Sadachar Aur Shakahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLokesh Jain
PublisherPrachya Vidya evam Jain Sanskriti Samrakshan Samsthan
Publication Year2019
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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