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________________ Divine Blessings आस्रव-तत्त्व का वर्णन है, आठवें अध्याय में बंध-तत्त्व का वर्णन है, नौवें अध्याय में संवर-तत्त्व तथा निर्जरा-तत्त्व का वर्णन है और दसवें अध्याय में मोक्ष-तत्त्व का वर्णन है। इस प्रकार दस अध्यायों में सूत्रों द्वारा जिनवर-प्रणीत सात प्रयोजनभूत तत्त्व कहे हैं। धर्मानुरागी श्री विजय कुमार जी जैन, देहरादून, ने 'तत्त्वार्थसूत्र' की अंग्रेजी व्याख्या प्रकाशित करा कर विश्व भर के लोगों का महान् उपकार किया है। उन्हें मेरा बहुत-बहुत मंगल आशीर्वाद है। २४।३।वीर आचार्य विद्यानन्द मुनि अक्टूबर 2018 कुन्दकुन्द भारती, नई दिल्ली
SR No.034448
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay K Jain
PublisherVikalp Printers
Publication Year2018
Total Pages500
LanguageHindi, Sanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size5 MB
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