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________________ પાકિસ્તાનનાં જૈન મંદિરો श्री महेन्द्रकुमार मस्त मानव जीवन की नियति चिन्मय चेतना है। यही चेतना शब्द और अर्थ के माध्यम से चिन्तन का चित्रण करती है । प्राचीन काल में कवियों ने शब्दार्थ की महत्ता को समझते हुए ‘जगतः पितरौ' का दर्ज दे दिया था अर्थात् शब्द और अर्थ तो मातापिता है। प्रयोगधर्मिता का यह अस प्रवाह प्रत्येक काल व परिस्थितिमें गद्य-पद्य में मुखर रहा। इसमें प्रतीक, दृष्टिकोण व आयाम बदले पर अध्यात्म का वागर्थ शाश्वत सत्य तुा सम्माननीय रहा। अत्यन्त हर्ष का विषय है कि प्राचीन कालीन लेखकों की भाँति विगत 60 वर्षों से भी अधिक समय से श्री महेन्द्रकुमार जी मस्त जैन साहित्य, व इतिहास का अहर्निश लेखन सम्पादन व संवर्धन कर जैन समाज को गौरवान्वित कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर प्रख्यात मौलिक ग्रन्थ गाँधी बिफोर गाँधी, आत्म अमृतसार, प्रवर्तिनी साध्वी देवीश्रीजी, उपाध्याय सोहन विजय जी व विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित १५०० लेख व निबन्ध श्री मस्तजी की साहित्य साधना के अमरफल है। पंजाबकेसरी युगवीर आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरि जी म.सा. के कृपापात्र श्री मस्तजी पर गुरु समुद्र, इनद्र तुा वर्तमान गच्छाधिपति इतिहासमर्मज्ञ आचार्य भगवन्त श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरीश्वरजी म.सा. की अमोध कृपा रही है। पूज्य गुरुदेवों ने श्रीमस्तजी की विलक्षण साहित्य प्रतिभा को सदैव सराहा है व सम्मानित किया है। श्र मस्तजी द्वारा संवर्धित सम्पादित प्रस्तुत उपक्रम 'वीरान विरासतें' प.पू. गच्छाधिपतिजी की प्रेरणा व आशीर्वाद से प्रकाशित हो रहा है जिसमें पाकिस्तान में रहे तमाम जैनमन्दिरों, स्थानक व दादावाडी की प्रामाणिक डॉक्यूमेन्टेशन है। श्री मस्तजी ने जैनसमाज के विस्मृत हो रहे इतिहास की कड़ियों को जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य किया है। सन् 1936 में सामाना (पंजाब) में श्री सागरचंदजी-ज्ञानवंती के घर जन्मे तथा वर्तमान में पंचकूला (हरियाणा) में रह रहे श्री मस्तजी नवम्बर 2018 तक अपने जीवन की 1008 पूर्णमासी पूर्ण कर रहे हैं। 82 वर्ष की आयु में भी आप लेखन/संशोधन के कार्य में सदा व्यस्त रहते हैं। इस कार्य में आपको पुत्र श्री गौतम जैन-सीमा जैन का पूरा सहयोग मिला है। __आशा व विश्वास है कि श्री मस्तजी पूर्ण स्वस्थ रह कर सतत लेखन से जैन साहित्य की अमिट अमूल्य सेवा करते रहेंगे। श्री महावीर शिक्षण संस्था - राघवप्रसाद पाण्डेय रानी स्टेशन, जि. पाली (राज.) ein
SR No.034398
Book TitlePakistanma Jain Mandiro
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrakumar Mast
PublisherArham Spiritual Centre
Publication Year2019
Total Pages238
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size176 MB
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