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________________ अप्पडिलेहिय-दुप्पडिलेहिय- पौषध में शय्या संथारा न देखा हो या अच्छी तरह से न देखा हो । संथार अप्पमज्जिय-दुप्पमज्जियसेज्जासंथार अप्पडिलेहिय- दुप्पडिलेहिय उच्चार- पासवण - भूमि अप्पमज्जिय- दुप्पमज्जियउच्चार- पासवण - भूमि पोसहस्स सम्मं अणणुपालणया उपवास युक्त पौषध का सम्यक् प्रकार से पालन न किया हो। अतिथि संविभाग समणे निग्गंथे फासुयएस णिज्जेणं असण- पाण- खाइम - साइम वत्थ-पडिग्गह- कम्बलपावपुंछणेणं पाडिहारिय प्रमार्जन न किया हो या अच्छी तरह से न किया हो । उच्चार पासवण की भूमि को न देखी हो या अच्छी तरह से न देखी हो । पूँजी न हो या अच्छी तरह से न पूँजी हो । -12 जिसके आने की कोई तिथि या समय नियत नहीं है ऐसे अतिथि साधु को अपने लिए तैयार किये भोजन आदि में से कुछ हिस्सा देना । श्रमण साधु । निर्ग्रन्थ पंच महाव्रत धारी को । प्रासुक (अचित्त) ऐषणिक ( उद्गम आदि दोष रहित) | अशन, पान, खादिम, स्वादिम । वस्त्र, पात्र, कंबल I पादप्रछन (पाँव पोंछने का रजोहरण आदि) । वापिस लौटा देने योग्य (जिस वस्तु को {77} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र
SR No.034373
Book TitleShravak Samayik Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa Mehta
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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