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________________ एयस्स नवमस्स का पाठ (सामायिकसमापन सूत्र) एयस्स नवमस्स इस नवमें सामाइय-वयस्स पंच-अइयारा सामायिक व्रत के पाँच अतिचार हैं। (जो) जाणियव्वा जानने योग्य हैं। (किन्तु) न समायरियव्वा आचरण करने योग्य नहीं हैं। तं जहा ते आलो वे इस प्रकार हैं, उनकी आलोचना करता मणदुप्पणिहाणे मन से अशुभ विचार किये हों। वयदुप्पणिहाणे अशुभ वचन बोले हों। कायदुप्पणिहाणे शरीर से अशुभ कार्य (सावद्य प्रवृत्ति) किये हों। सामाइयस्स सइ-अकरणया सामायिक की स्मृति नहीं रखी हो। सामाइयस्स सामायिक को। अणवट्ठियस्स करणया अव्यवस्थित रूप से (सुचारू रूप से नहीं) की हो तो। तस्स मिच्छा मि दुक्कडं वह मेरा पाप निष्फल हो। सामाइयं सम्म सामायिक को सम्यक् प्रकार से। काएणं काया द्वारा। न फासियं न पालियं स्पर्श न की हो, पालन न की हो। न तीरियं न किट्टियं पूर्ण न की हो, कीर्तन (स्मरण) न की हो। न सोहियं न आराहियं शुद्धि (शोधन) न की हो, आराधना न की {56} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र
SR No.034373
Book TitleShravak Samayik Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa Mehta
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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